आशाका एकमात्र मार्ग | Ashaka Ekamatar Marg
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
6 MB
कुल पष्ठ :
215
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)१० आज्ञाका सेकमाच्र मार्ग
हुआ थी । कओी हजार वर्ष पहले मैसोपोटेमियामें भी मिसी तरह बडे
पैमाने पर मिट्टी भर गयी थी ।
जगलोके नादासे घरती-कटाव होता है
आगसे और जिमारती ककडी तया कागजके गूदेके लिअे होनेवानें
अुद्योगवादके आक्रमणोसे जगलोका जो नाग होता है, अममे अव्य ही
भयकरः वाढ आती है मौर अधिक धरती-कटाव होता है। यूरोपमे नी
जिस मात्रा्मे नये जग पैदा होते हैं भुसकी अपेक्षा लकडीकी स्पत
१० से १५ प्रतिशत अधिक होती है। सवुक्त राज्य अमरीकामे नये
वृक्षोकी अुत्पत्तिकी अपेक्षा वृक्षोकी कटाओ बहुत ज्यादा होती है।
अुदाहरणके लिञ, “न्यू याँकं टाञिम्स'के रविवासर सस्करणके निभे
आवरयक कागजका गूदा तैयार करनेके लिञे १० अेकड (कुछ जानकार
१०० ओकड वताते है) भूमिमे खडे वडे पड चाहिये। अम रविवारे
सस्करणका मेक-तिहाओौसे कृ कम भाग समाचारौ, छेखो या सम्पादकीय
लेखोमें लगता है। अधिक बडा भाग विज्ञापनोमे लगता है। और विज्ञापन-
दाताभोका अक मुख्य हेतु जिस प्रकार अपना व्यावसायिक खर्च बढ़ाकर
आय-कर घटाना होता है । सयुक्त राज्य अमरीकार्मे जिसी आकारके ओर
भी कञी पत्र छ्पते ह । सप्ताहे अन्य दिनोकी ओर कागजके अन्य सवः
सुपयोगोकौ वात छोड दे, तो अक वपंर्मे ५२ रविवार हौते ह । ज्यादातर
जग्टोफे असे शोपणके परिणामस्वरूप मुक्त राज्य अमरीकामे वाढे
लगभग हर दशके पहनरेसे ज्यादा वडी ओर अधिक वार आनी हं
जनवरी १९५७ के मध्ये मद्रासके अग्रेजी दैनिक ' हिन्दू ' के जेक
अकमें कहा गया था कि भारतके लि २२ नये कागजके कारसानाफी
योपना वनाओ जा रही है। परन्तु अुसमें जिस बातका अदेस नहीं
था कि पेटोङी कटानीको कमे रोका जायगा या कागज वनने
प्रक्रियापे दा होनेवाड़े गयवके तरल पदायाकों नदी-ताडोसे यगन
देकर पानीकों जहरीदा बनाने दिया. जायगा और सद्धस्योंफी स्वया
दरे ठी जायगी सयवा नतकी कमी जीर व्यवन्यरा कौ जायगी ।
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