उपदेश रत्न माला | Updesh Ratnmala
श्रेणी : जैन धर्म / Jain Dharm
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4 MB
कुल पष्ठ :
156
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about कुमार देवेन्द्रप्रसाद - Kumar Devendraprasad
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)रल
भ्र्ञरमुधार
उल्था शका 9००४
चिद्रीपती 4 त
पटुना दक; दक
द्स्तकारी १ ब
आक्ञा-पाटन र न
व्यायाम (कसरत) ... कत
सुनना (मनन करना)... ' ५
( समाचार-पत् )... ३
स्थिरता ५... बन
समयकाबाद्ूर ... `
नीरोगता . 4 , ` ,८
` , श्रशुद्ध-भाजन-पान,.. दर
भ्रसमय पर शरीर से काम लेना...
सेवा सुध्रपा .. ... म
रोगी की सेवा... ... क
उत्सादं त, २ जात
आत्मगीर्व क भः
उदारता । 4
पृष्ट
३६
३०
च हे ३ र
३३
५
२५
डे #
३६
धद
४८
४६
५१
५४
„६०
, ६५
६9
६६
७४
, . ७9
८9
User Reviews
No Reviews | Add Yours...