जैन कहानियाँ भाग - 15 | Jain Kahaniyan Bhag - 15
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
146
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)मुनिवर मुनिपति
अंग देश ने मुनिपतिक नामक नगर था । विक्रम
व स्याय में भ्रग्रणी मुनिपति वहाँ का राजा था । पट-
रानी का नाम पृथ्वी और राजकुमार का नाम सुन्ति-
चन्द्र था |
एक दिन राजा मुनिपति राजमहलो में बैठा
आामोद-प्रमोद कर रहा था । महारानी पृथ्वी राजा के
केशों को सहला रही थी । एक श्वेत केश को देखकर
१ से बह वोल पडी-“स्वामिन्, चोर आ गया
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राजा चौका श्रौर चारो श्रोर देखने लगा । उसे
चोर दिखाई नहीं दिया । महारानी से उसने प्रन
किया-“कहाँ है चोर ?””
महारानी ने सफेद के को राजा के सिर से
उलाडा भर दिखलाते हुए कहा-- देखिये, बुढ़ापे के
द्वारा भेजा गया यह चोर अ+
राजा अन्तर्म दशना ¦ वह् सोचने लगा, यौवन
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