काली लड़की | Kali Ladki
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
128
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)क्वाली लकड़ी
(वुद्ा कौ ननद) रानी से मी सवलीष्टे. 1 पुर् राना कं (५ ८।
वहत ग्रच्छे है, श्राखं भी सुन्दर १ <
उसके वाद माँ ने जो कहा, ग
दिया । क्या कोई भी माँ श्रपने बच्चे के लिए वसा कह संकेत द
जव मैंने जन्म लिया या तो बया मां को प्रसव-पीडा कम हुई थी ?
मैंने.सुना था कि माँ को सभी वच्चे प्यारे होते हैं, वच्चों में भेद केवल
पिता चरतते है । विदवास कीजिए--यह व्यवहार मेरी श्रपनी माँ ने
मेरे साथ किया ।
माँ ने कहा, सच पूछो जीजी, मैने रानी को जी भर कर कभी
देखा भी नही है। जव भी मैंने उसे देखा, सरसरी नज़र से ही देखा ।
मुम उति बहुत भ्रच्छी तरह देखते डर लगता है । अभागिन इतनी
काली है--मैं सोचती हूँ किसी देवी का श्राप है, जो ऐसी लड़की मेरी
कोख से पैदा हुई!
वुद्मा की झ्राँखों में पानी छलछला रायाः ्टुःली मत हो भाभी,
लडकी पठने मे वड़ी तेज है, जरूर कुछ-न-कुछ वन जाएंगी । तुम इसे
लेडी डाबटर बनाश्रो, डावटरी पढ़ने का उत्साह दो । +
१ इस पर माँ ने कहा, नही जीजौ, एक तो हमारी हैसियत नहीं
के इसे डावटरी पढने के लिए भेजें, दूसरे यह कि डाक्टर वन कर यह
जिन वच्चों को पैदा करवायेगी, वे भी इसके काले हायों से काने ही
होगे ।'
इसके वाद वुद्रा ने क्या उत्तर दिया, भै सुनने के लिए नहीं रुकी,
छत पर चली गई । मेरे भीतर कुछ टूट गया था। मेरी माँ मेरी दा
से वात कर रही थी । बया अपनी जननी भी ऐसी वात कर सकती
है? माँ का प्यार मैंने नहीं पाया था, परन्तु मैं देखती थी कि माँ का
प्यार होता कैसा है, किया कैसे जाता है । मेरी माँ दीदी को तो प्यार
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