आराधना | Aaradhana
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3 MB
कुल पष्ठ :
160
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)नाराघना ] [ पड़
भर्थ-मलमृत्रादिद्रव्यो म यर् क्षुधा, तृषा जादि भावों जं
जुगु्मा-र्लानि का दयाग कर देते हूं उनके निज युप्ता अग होता है ऐम
जिनेन्द्रदेव ने कहा है ।
अगूृदृत्टि अग को वक्त
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त्यवत्वेबामूढटष्टिः स्यात्, निम दत्वं श्रयन्नसौ ॥११३॥
सर्य--नोकमृदता, वेदमूटता आदि मूटताफो, सौर मिधथ्यादृष्टियं
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आश्रय लेते हुए जीव अमूटदृष्टि जग का घारक होता है 1
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हृक्चरणेपु केपांचित्, दोपान् वोद्योपगूहते ।
ध्ममक्त्या भवेत्तस्योपनरहुनाद्ध' शुद्धिरत् ॥१४।
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टेखरार जो उसको देक देसे उनके युति फो परने सादा क उपप
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