श्रेणिक राजा की कथा | Shrenik Rajaki Katha
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
1 MB
कुल पष्ठ :
45
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)कथाकोश | १७५
रथ तपस्या ~~~ ~~
२०-पद्यरथ राजाकी कथा ।
(2 २
द्र, धरणेन्द्र; विग्राधर, राजा, महाराजा-
ओं द्वारा पूञ्य जिनभगवानके चरणोंको
नमस्कार कर मं प्रथ राजाकी कथा चि-
॥ खता हूं, जो प्रसिद्ध जिनभक्त हुआ हैं।
मगघ देशके अन्तर्गत एक मिथिला ना-
मकी सुन्दर नगरी थी। उसके राजा थे पझरथ । व बड़े
बुद्धिमान् और राजनीतिके अच्छे जाननेवाले थे, उदार
और परोपकारी थे। सुतरां वे खूब मसिद्ध थे ।
एक दिन प्रथ शिकारके लिये वनमें गये हुए थे ।
उन्हें एक खरगोश दीख पढ़ा । उन्होंने उसके पीछे अपना
घोदा दौड़ाया । खरगोश उनकी नजर बाहर होकर न जाने
कहां अद्य हो गया । पञ्चरथ भाग्यसे कारगुफा नामकी
एक गुहामें जा पहुँचे । वहाँ एक मुनिराज रहा करते थे।
वे बड़े तपस्वी थे । उनका दिव्य देह तपके प्रभावसे अपूर्व
तेज धारण कर रहा था | उनका नाम था सुधम । प्मरथ
रत्नत्रय विभूषित ओर परम शान्त युनिराजके पवित्र द्ग
नसे बहुत श्ञान्त दए जैसे तपा हुआ लोहपिंड जठसे शान्त
हो जातादहै। वे उसी समय घोडेषरसे उतर पड़े और मुनि-
राजको भक्तिपूरव॑क नमस्कार कर उन्होंने उनके द्वारा धमका
“पवित्र उपदेश सुना। उपदेश उन्हें बहुत रूचा । उन्होंने
सम्यक्त्व पूरवंक अणुच्रत ग्रहण किये । इसके बाद उन्होंने
मुनिराजसे पूछा-हे मभो हे! संसारके आधार ! कहिये तो
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