एक बूंद एक सागर भाग - 5 | Ek Boond Ek Sagar Bhag - 5
श्रेणी : धार्मिक / Religious
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लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
9 MB
कुल पष्ठ :
304
श्रेणी :
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No Information available about समणी कुसुमप्रज्ञा - Samani Kusumpragya
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)१५
एक ही व्यक्ति के विविध चिन्तनपरक वचनो का यह अनूठा
और अद्वितीय संग्रह साहित्य-जगत् के लिए भी अभूतपूर्वं उपलब्धि
है, इसमे संदेह नहीं ।
सूक्ति-संग्रहो मे प्रायः अनेक सनीपियों के मामिक कथनो का
संग्रह रहता है । हिन्दी भाषा में प्रकाशित संग्रह प्रायः इसी प्रकार के
है। यह संग्रह उनसे भिन्न और विशिष्ट बन पड़ा है, ऐसा हमारा
विदवास है, परन्तु निणेय तो पाठक ही कर पायेगे ।
यह हमारे लिए बड़ी प्रसन्नता की बात है कि हमे प्रत्येक खंड
के लिए एक मूर्धन्य विद्वान् ओर समालोचक साहित्यकार का निष्पक्ष
मूल्यांकन उपलब्ध हो पाया है, जो यथास्थान प्रकाशित है ।
आचार्यश्री हारा संस्थापित समणी वे की अनेक-विध सेवाओं
उनकी साहित्यिक सेवाएं भी बहुमूल्य है। समणी कुसुमप्रज्ञा जी ने
सम्पादक एवं सह-सम्पादक के रूप में एका्थके कोश' एवं देशी
शब्द कोर' जैसे बहुश्रुत विद्वानों द्वारा प्रशंसित कृतियों कै वाद
“एक बूद : एक सागर” जैसी अनुपम कृति को उपस्थित कर लोक-
कल्याण की भावना को साकार किया है । डी
ग्रंथ अपनी यात्रा में अनेकों विद्वानों के हाथों से गुजरा है,
जिनके सुझाव वहुत उपयोगी रहे है । सभी सहयोगी विद्वानों के प्रति
हम हादिक धन्यवाद ज्ञापित करते हैं ।
--श्वीचंद रासपुरिण
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