प्राचीन - पद्य - प्रसून | Prachin - Padya - Prasun
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
148
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)- १३ -
२. ददष्ी माधो चदे चदवनं रैन विई।
सेन दमाय प्यव मई ३, जव सोड ठव खाह।
यहु धरद,ख दाम की सुन्वे, ठन की तपनि चुमाइ
कट क्षीर मिततिजे वड, तिति करि ममल गाई ॥
(३३
अपन पी आप दी विध्रमै
जप सोनदा कॉच मन्दिर में भरमव भू फि मरो।
भोकर वदु निर्या कू१ ज्ञ प्रतिमा देखि परो 1
पेपर मद गज फाटक विज्ञा पर दवनति रानि चते।
मरकट मुठी खाद ना पिदर पर्ष नट सिरी !
कह कबीर लघनी के पुवना दोडि कोने परकरो ।
(१२
श्रे इन दोडन रहन १६)
हिन्दू श्रपना कटे क९।६, गागर द्ुवन न ददै)
चेष्या के पान वषयो, यह देवो द्ब्र)
मु क्ञमान के पार श्रीलिपा, सुर्गी-मुरगी खाई ।
साला री वी ब्याई, घररई्टि में करें सगाई ।
नाहर से यष मुरी लि घोय घाय चढ़वाई ।
खव सपर्या मित जेवन बढठीं, घए मर करे प्रढ़ाई ।
दिन्दुन का दिंदुवाई देखो, तुरकन को तुरकाई।
दै फोर सुने भाई साधा कोन रा है लाई!
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