उपदेश -प्रसाद भाग ४ | Updesh - Prasad Bhag 4 (vyakhyan 211-263)

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Updesh - Prasad Bhag 4 (vyakhyan 211-263) by अज्ञात - Unknown

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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#, ४१ ( ^. भ ५ { कटु मामा ददूज्न दाधा षया दिरोटीना मनमया शद्रा गद प्र गदी पद्मौ हना व्वाद्ात्यन्य्नौ सद्द मयी पिन > सत योनु सनम पे ददिष पर कदय कने स्मता उपना पन्य श्रु नेषन शरपारसी पस्य यतः दध कमी गुरी दरमामी पभावे पुष्प मएरादि शुभ रंगे सतुमिए देत वपुम्‌ मदद सदद्मो भमा परो ने एंस्यास संगद्धधिसडरी गभीरे सेपरीयी रने देष्णं सा प्रदाधनी संपसीक लिवक पिप संहतार्‌ मत कदा प्रासा मर्दना पु पुष्य परमन मरीस वामो शते मानय मेना यथ माद समि रदी, प्र सकन साय सैव करनी मदम सन्द भने देय यंदरादि कारों करी मनना सय सेदु मोष दन्य कु जासर्‌ नयारारा नाद सादे दामन शक परवानहा पणय पयु रर्‌ सहारे पल्दाप्मय ससव, पभा सिद्धावलना गुर शाम शृण्ना दस्मा प पम्वा स्मां पुग मनमान युर शर्ते संघ माम परन्‌ ध्वन महिम्‌ छ प्त सवे व्ये पदी यदाद श्वी मीरे दार यन्तु द्रागादी भनि धर्मरान्तनी पुपी जद जयाश्र गी सपन यादु ध्नः पया पदर उपयान्‌ भट पयं प्रेम प्रण मुज मदार प्रियादा तेम सगणा नसामा दर्‌ सीलडीना से सप प्रारया मदग पा भता सयरीफः सनी लिवद, हार फघापन मादि पदा प्रा सप्ला दन्द दिगरे याी्नासा जयनाद्‌ सयं पय पथ्य यदी स्यायम्‌ तरिष्ठि पद एतामिवाफरय श्प चूदा भरार्‌ चष रपो ऐेगेरे शामन प्रमावनाजोण श्यो निरयन गजम पला, एदरी पत्तन सौगे थे प्रमितभग मीसे सवकार बाली से लोगरुमा सिद्धानन जाराधन चाटसग्ग कराती सिध्घायलतु ध्यान चंदन उछनता शामद यतु जीवन पायन सन्दा सभालु वये गीररमां कषमा सायत साय `प्र खौ शर्‌ गमना यापु यमं पयः सिस ऊनि मार्‌ वाना तरफरी ~~ ~~ गुमा -तीषं भणीक: महाराजानां गूम ~




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