समाजवादी चिंतन का इतिहास | Samajavadi Chintan Ka Itihas
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
11 MB
कुल पष्ठ :
647
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about ब्रजेन्द्र प्रताप गौतम - Brajendra Pratap Gautam
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)भ्रध्याप
विषय प्रते
समाजवाद श्रप्रजी श्रौर फ़ान्सीसो शब्द “सोशलिञ्म का हिन्दी रूपान्त
ट। समाजवाद वाधुनिकं गमय प्रमुख विचास्धारा है। दर्धन, विज्ञा
साहित्य, वला हया भन्य क्षेत्रो मे समाजवादो सचि का प्रत्यक्ष धथवा परोः
प्वीकारा्मक भयवा नकारास्मक, प्रभाव दिखलायी देता है । प्रथम विद्वयुद्ध
इचात् का धन्तररप्ट्रीय व्यवहार एक शोर पूजीवाद तथा दूसरी भोर समाः
वाद के समर्थन की चेंप्टाओं_ वा इतिहास है । यहां तक कि विभिन्न दे!
फी शामन व्यवश्वाभो तथा अ्धनीतियां भी समाजवाद के शमथन श्रय
उसके प्रतिकार कैः प्रयत्न हैं। झाधुनिक समय मे समाजदाद वरिषपक उट
पण्डन-मण्डन श्रथवा प्रंसा-मत्संना दवारा जितने प्रधिक साहित्य कौर्म
हुई है उतनी वदाचित ही विसो भरन्य विचारधारा मरी हुई हो। य
झाज बुछ लोगों के लिए समाजवाद युगधर्म है तो बुछ ऐसे भी लोग देए
को मिलते हैं जो उचे एक भभिशाप मानते हैं ! दोनों दृष्टियों से इस विचारधा
का प्रभाव तथा चमत्कार सर्वेब्पाप्त है । मत. मका दि्तृत धव्यन प्रभिप्रेत ह
एक रामाजशास्थ्रीय पद्धति के सूप मे समाजवादी विचारधारा के गुझावों मे प्र
उदासीन रहना भव सामाजिक दिशानों के लिए बढिन हो गया है । यही न
एक राजनीतिक तया सामाजिकः वायंद्रमवेःस्पर्भे दशके भन्दर दोपण विरं
सथा सामाजिकः न्ययिक्षी जो प्रेरणा टै उत पाजो भी वायम उपला
दृष्टि से नहीं देख सकता है। यह भी सत्य ै कि दार्शनिय तया बौद्धिक रा
पर समाजदादो विचारवाराप्रो ने भ्रयवा उन धटिपू्णं भू यावन ने, लिरं तन
निरपेश्षता तया टटथमिता बे प्रवृत्तियो गो उत्पप्न कर दिया है । इनका समाप
भावध्यक है । रवयं समाजदादी विचारपारा, तथा धभान्दोलन के भीतर हल
पिविधडा, वाद्रस्वता, चन्तितेष तथा प्रादाय है कि वेनी-क्भी उनके मर
श्रागमषकास्रप्टीकरण क्टिनटोजातादहै। फिर भी उनमें धाधारदूत पर
है । उसका बाप धावरयक है। झत इद प्रभावयासों जिचारघारा को समय
रुपेग हृदपंगम बरतने के लिए इसकी पाइवट्ूसि बा यपोचित जन घायदरयय है
User Reviews
No Reviews | Add Yours...