लन्दन में भारतीय विद्यार्थी | Landan Men Bharatiy Vidyarthi

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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प्रयर परिच्छेद & दने लगा । दद्द चाहता था कि से दिदेश यात्रा और पात्रस्य सभ्यता का कु. ज्ञान हो जाय । उसने दो ठीन पुस्तक, लो भारत ०९ कड में न मिल सकी उन्दें दी० पी० द्वारा लन्दून से मेंगदा कर पढ़ा कन्दु इतनी पुत्तकें पढ़ लेने पर भी उसे पुं खन्तोष न हुसा। हो ^ रेखे सरता था ९ जिस देश, स्थान अथदा दस्तु को न देखा उषे लिये दिचार करना देखने के समान नददीं हो सकता 1 ली सभ्यता छे विषय मे उखमे ङ ऐसी दातें भी पटी थीं जिनका सभ्यता मे होना उसे इन्ध ससम्भव-सा प्रठीत हुआ, ययपि दातों के विषय में उसने 'झंप्रेजी उपन्यासों में जदश्य पढ़ा 3 #। £| रण 21/ (१1 4 ८1 4 7 १ श्र 11 1 $ (01 4 4 ॥ ह | ‰५। 01 01 ५ ८) 11 न 1 > | मैक पतत ह्‌ । उते चष्ट मामन था एरु दिन वह भी इंग्लेन्ड र गैर उसे इस सभ्यता मम हनः ङ्गा क जिन चस्ति * र उसे उस खभ्यतां मं र्टनः पडगा श्नौर जिन चस्ति तपय सं उसने इ वह स्वयं अपनी 'छोखों से देररेगा रघपय से उखन पड़ा ह उन्द्‌ दह्‌ र्दय अपनाश्स्मस् दस्या। एक दिनि स्देरे मदन अपने कमर में देठा हा एन्वक षट्‌ स्रः ~ न्क क जका < क टः? ( ण्न र दरा क्ति खां वाद उन पौम्ट-सन ( दात्य) ङा दाङ ] उण दौटस्र (8 ५ दाय म क ल [न लक म अय ९९६




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