उतराध्ययन सूत्र का हिंदी अनुवाद | Uttaradhyan Sutra Ka Hindi Anuvad

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Uttaradhyan Sutra Ka Hindi Anuvad by अज्ञात - Unknown

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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म्‌ मूर भौर छेद इन चार विभागों मे से मूर विभाग में इसकी गणना की जाती है । भगवान महीर फे मोक्ष जाने के वाद्‌ ( बारह वर्ष पीछे गौतम मस्वामी सुक्त हुए थे ) उनके पाट पर प्ाह्यणङ्कजति श्री सुधमंत्वामी ` भाये भौर चीर निर्वाण के २० ब्षे पीछे वे भी मुक्त हुए । उनके भाद उनके पाटपर श्री जंबूसामी विराजमान हुए--(धघीर चंशावलि, जैन -साहिव्य सं्नोधक )” इस कथन पर से उन्तराध्ययन की प्राचीनता तथ अद्धतता स्वयमेद न्पष्ट हो जाती ६। ५ १ पूर्वकालीन भारत--धार्मिक युग भगवान महावीर का युग--एक धार्मिक युग तरीके माना शी 1 उस युग में तीन धर्म मुख्य थे; जिनके नाम चेद, लैंन भौर बौद्ध धर्म दं | उख समय वेद्‌ भौर जैन ये दो धमं प्राचीन ये, वोद धमं भर्वाचीन -था| एक स्थान परः डाक्टर हर्मन जैकोवी आाचारांग सूत्र की प्रस्तावना म्में छिखते हैः-- नू 18 ठ ववपो्टव [$ भा पात ररणा ( एण्य (प्प), पए० 18 व्छ्फणमणाक्‌ लमोल्व्‌ कतिादपा छाः $ पतौ पणवा, 8 8./ ए0लणण ताक 9 उप्ता वपते प ५/6 कराणा ( विणा 9 70 एलः [पफ प्तः € ४31४6 ग वक्0§ ० 4110218, 9९० हतंडटिते 85 बा गणकम 8९९४ 9॥ {116 णठ पफल प इप्वता ताप्पल 8 6४४ {0पात९त.१ । यह थात भव सर्वमान्य ष्टो घु टै कि नातपुच्र ( छञातिपुत्र ) जो अदावीर अथवा घर्घमान के नाम से विशेष प्रसिद्ध दैं; ये घुद्ध के समका- छीन थे भौर निर्गमय (८ निर्य ) जो साजकर जैन भधवा सादत नाम से




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