रेज़गारी का रोजगार | Rejgahri Ka Rojgahar
श्रेणी : काव्य / Poetry
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3 MB
कुल पष्ठ :
129
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)संजय
श्राद्ना
संजय
प्राणा
संजय
श्राशा
संजय
शुक्ला
शुक्ला
झाशा
शुक्ला
मल
+
४
, यौन ममो, न्या आपदेरसे य देंगी, पार्टी है. सम बाज सर्
फार्म पर फिानिया है, राव जा न्ह, ममी जाना चाहता हू, नहा
5 न ् न नी मम ~ =
द्यो ....व नाग बच्द्ध नही है है. . यापका उनके साथ मरा प्ट
: बा हुमा ममी ने मना कर दिया ?
: हैं, अब संजय जरूर जाएगा, में सब तेयार होता हूं 1
(अन्दर वाले दरव।ज की तरफ जाता है)
: भ्रडया, खाना 1
: (जाते हुए) तुम सा लेना |
: ममी नाराज होगी ।
: (तेज स्वर में) होने दो 1
(ग्रन्दर जाता है)
( दारयी तरफ वाले दरवाजे से थ्री शुक्ला का ज्रागमन
=
: संजय, सजय, कहां गया? .... (सिगरेट मनगाता दै, साफ पर
वठता है)
(आशा का अन्दर ते प्राना)
: अरे संजय कहां है?
: अन्दर, तेयारहौ रहै है, श्राज राजू के फार्म पर पिकतिक है;
वहाँ जा रहे हैं ।
: उन गधों के साथ, कितनी वार कहा है, गवारों की सोहयत अच्छी
नहीं होती । .... अब इसको हॉस्टल मे भेजना ही होगा । बुलाना
उसको, .... हूँ, वर्मा का फोन तो नहीं झ्राया था ?
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