हिन्दी साहित्य का बृहत इतिहास भाग - 13 | Hindi Sahitya Ka Brihat Itihas Bhag - 13
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
23 MB
कुल पष्ठ :
569
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)८११)
तिथिक्रम, पूर्वापर तथा कार्य-कारण-संबंध, पारत्परिक संपर्क, संघर्ष, समन्वेय,
प्रभावग्रहण, श्रारोप, स्थाग, प्रादुर्भाव, श्रंतर्भाव; तिरोभाव श्वादि प्रक्रियांश्रों पर पूरा
ध्यान दिया जायगा ।
( ४ ) हंतुलन श्रौर समन्वय --इसका ध्यान रखना होगा कि साहित्य के
सभी प्रको का समुचित विचारहोस्कै। ऐसा न हो कि किसी पक्ष की उपेक्षा हो
जाय श्रौर किसी का श्रतिरंभजन । साथ दी साथ सादित्य के सभी श्रंगों का एक
दूसरे से संबंध श्रौर सामंजस्य जिस प्रकार से विकसित श्रौर स्थापित हूश्रा, उसे
स्पष्ट किया जायगा । उनके पारस्परिक संघर्ष का उल्लेख श्रौर प्रतिपादन उसी
श्रंश श्रौर सीमा तक किया जायगा जहाँ तक वे साहित्य के विकास में सहायक
सिद्ध हुए होंगे ।
(४ हिंदी साहिद्य के इतिहास के निर्माणु में मुख्य दृष्टिकोण सादिस्य-
शास्त्रीय दोगा : इसके श्रंतर्गत ही विभिन्न साहित्यिक दृष्ियों की समीक्षा श्रीर
समन्वय किया जायगा । विभिन्न साहि दियो म निम्नलिखित की
मुख्यता होगी :
क-शुद्ध सार्हियक टाष्टि : श्रलंकार, रीति, रख, ध्वनि, व्यंजना श्रादि ।
ख-- दार्शनिक ।
गनसांस्कृतिक ।
घ-समाजशास्त्रीय ।
ङ--मानवीय, श्रादि ।
च---व्रिभिन्न राजनीतिक मतयादों श्र प्रचारात्मक प्रभावों से बचना
होगा । जीवन में साहित्य के मूल स्थान का संरद्षण श्ावश्यक दंगा |
छु--सादित्य के विभिन्न कालों में उसके विविध रूपों में परिवतन श्रोर
विकास के श्राधारमूत तत्वों का संफ्लन श्रीर समीच्षाग किया जायगा ।
ज- विभिन्न मतों की समीक्षा करते समय उपलब्ध प्रमाणों पर सम्परऋू
विचार किया जायगा । सबसे श्रधिक संतुलित श्र बहुमान्य सिद्धांत की श्रोर
संकेत करते हुए भी नवीन तथ्य श्रौर सितो का निरूपण संभव होगा ।
भ--उपयुक्त सामान्य सिद्धातों को दृष्टि में रखते हुए; प्रत्येक भाग के
संपादक श्रपने भाग की विस्तृत रूपरेखा प्रस्तुत करेंगे । उपसमिति इतिहास की
व्यापक एकरूपता श्रौर श्रातरिक सामंजस्य बनाए रगखने का प्रयास करना होगा ।
साथ दी जो पद्धति इतिहास लेखन में व्यवदुत करने का निश्चय किया
गया वह इस प्रकार है--
(६ ) प्रत्येक लेखक श्रौर कवि की सभी उपलब्ध कृतियों का. पूरा संकलन
किया जायगा श्रौर उसके श्राधार पर ही उनके साहित्यक्षेत्र का निर्वाचन श्रीर
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