औसधि गुण धर्म विवेचन | Ausadhi Gun Dharm Vivechan
श्रेणी : स्वास्थ्य / Health
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3.44 MB
कुल पष्ठ :
103
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about कृष्णप्रसाद द्विवेदी - Krishna Prasad Dwivedi
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)ऑओपषधिशुणधघमंविवेधन १९ तथा द्दानिशारक भी है दूसरा एक चदादरण सेटोनाइन ६ का लीजिये यदि इसे वड़ी से बड़ी मात्रा अधांत्ू आपे से २ गुदा त्तक खिलाईं जाय तो उसका शोषण शरीर में न होकर मूत्र के साथ निरुतत जाती दै। अत एवं यदि केवल आधा गुझा सेंटो- नाइन थोड़ी सी शंकर के साथ सिलाकर उसके समान ४ भागे कर लिये लय और उनमे से भी एक ही भाग शांत झाये गुझ्ा का भी पु साय दिया जाय दिया जाय तो इष्ट छसि नाशक कार्य सफलता पूर्वक कर किसी प्रकार की हानि सही होती । यह्दी वात कई विपों के रास्वन्ध सें देखी जाती है । कज़लि युक्त भीषधिया में प्राय ऐसे मिन्न भिन्न द्रव्यो का समावेश किया जाता है कि लिनके कारण उत्तक्रा झत्यलप प्रमाण ६ सेंटोनाइन यदद एक पार्चात्य कुमिभ्न ्रोपवि है । यह एक चोत्पन्न वक्ष विशेष से निकाली जाती है | गंघ शोर स्वादरहित लसक- दार स्फटिक रूप में झा अेजी दूकानों सें मिद्ती है । उनकी छांति यो है सेटोनाइन १२० ग्रे शुद्ध करा २५ घांस गोद चूण १ ध्रोस तथां ब्र्कोदुक चधावश्यक सिलाकर खून घोट-घाँट कर मू गे. जंरी गोलियां बना कर शीशियों से भरकर रवखे । इसके सेवन से गोल कि बहुतशीज़ा तस्काल मर जाते है । साथ दी रेचक देदेने से वे सब मरे हुए कृति मल के साथ चिदस जाते हैं । ः लेखक ही
User Reviews
No Reviews | Add Yours...