सुरतिनारायण मणि त्रिपाठी अभिनन्दन ग्रन्थ | Surati Narayan Mani Tripathi Abhinandan Granth
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
65 MB
कुल पष्ठ :
477
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)चोदह
ब्रिपाठीजी से मेरा प्रयाग विश्वविद्यालय मे छावावस्था के समय से परिचय
है । उसके बाद वह् उत्तर-प्रदेश मे सहयोगी भी रहे 1 जब भी वह् कोई काम करते
थे, उसके फलस्वरूप उन्हे यश ही प्राप्त होता था ।
वाराणसेय सस्कृत विश्वविद्यालय के उपकुलपति पद पर कायं करते हृए
संस्कृत साहित्य की बहुमूल्य निधि अनेक पाण्डुलिपियो के संग्रह, सस्कृत तथा समवर्गी
विषयों की सन्दर्भ ग्रन्थ-सूची के संकलन मे जो योगदान दिया है उसके लिए विपाटी
जी भूरि-भ्रि साधूवाद के पात्र हे ।
समिति के इस कार्य के लिए में हृदय से सफलता की कामना करता हूं !
--श्री भोलानाथ झा
अध्यक्ष, केन्द्रीय जनसेवा आयोग, नयी दिल्ली
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त्रिपाठी जी नें अपनी बौद्धिक ओर चारिविक योग्यता से उत्तर-प्रदेश के
प्रशासनिक कार्यो मे अपना एक मानक प्रतिष्ठित कर दिया । उन्होंने गोरखपुर
मे विश्वविद्यालय की स्थापना कर उत्तर-प्रदेश के पूर्वोत्तर अंचल की तरुण प्रतिभाओ
को विकास का एक अवसर प्रदान किया है । वाराणसेय संस्कृत विश्वविद्यालय का
जिस कुशलता के साथ आज वह संचालन कर रहे है, वह उनकी बौद्धिक और
प्राशासनिक योग्यता का प्रत्यक्ष प्रमाण है । उनके जैसा व्यक्तित्व आज विरल है ।
भगवान् उन्हे शतश््यु करें, यही मेरी शुभकामना है ।
--डॉ० लक्ष्मीनारायण सुधांशु
अध्यक्ष, बिहार विधान सभा, पटना
>>
इस अभिनन्दन ग्रन्थ समर्पण के शुभ अवसर पर मे अपनी हादिक शुभं
कामनाएं भेजता हूँ ।
--श्री आ० वि० राव
उप कुलपति; लखनऊ विदवविद्याख्य
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