सुरतिनारायण मणि त्रिपाठी अभिनन्दन ग्रन्थ | Surati Narayan Mani Tripathi Abhinandan Granth

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Surati Narayan Mani Tripathi Abhinandan Granth by पुरुषोत्तमदास मोदी - Purushottamadas Modi

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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चोदह ब्रिपाठीजी से मेरा प्रयाग विश्वविद्यालय मे छावावस्था के समय से परिचय है । उसके बाद वह्‌ उत्तर-प्रदेश मे सहयोगी भी रहे 1 जब भी वह्‌ कोई काम करते थे, उसके फलस्वरूप उन्हे यश ही प्राप्त होता था । वाराणसेय सस्कृत विश्वविद्यालय के उपकुलपति पद पर कायं करते हृए संस्कृत साहित्य की बहुमूल्य निधि अनेक पाण्डुलिपियो के संग्रह, सस्कृत तथा समवर्गी विषयों की सन्दर्भ ग्रन्थ-सूची के संकलन मे जो योगदान दिया है उसके लिए विपाटी जी भूरि-भ्रि साधूवाद के पात्र हे । समिति के इस कार्य के लिए में हृदय से सफलता की कामना करता हूं ! --श्री भोलानाथ झा अध्यक्ष, केन्द्रीय जनसेवा आयोग, नयी दिल्‍ली €> > त्रिपाठी जी नें अपनी बौद्धिक ओर चारिविक योग्यता से उत्तर-प्रदेश के प्रशासनिक कार्यो मे अपना एक मानक प्रतिष्ठित कर दिया । उन्होंने गोरखपुर मे विश्वविद्यालय की स्थापना कर उत्तर-प्रदेश के पूर्वोत्तर अंचल की तरुण प्रतिभाओ को विकास का एक अवसर प्रदान किया है । वाराणसेय संस्कृत विश्वविद्यालय का जिस कुशलता के साथ आज वह संचालन कर रहे है, वह उनकी बौद्धिक और प्राशासनिक योग्यता का प्रत्यक्ष प्रमाण है । उनके जैसा व्यक्तित्व आज विरल है । भगवान्‌ उन्हे शतश््यु करें, यही मेरी शुभकामना है । --डॉ० लक्ष्मीनारायण सुधांशु अध्यक्ष, बिहार विधान सभा, पटना >> इस अभिनन्दन ग्रन्थ समर्पण के शुभ अवसर पर मे अपनी हादिक शुभं कामनाएं भेजता हूँ । --श्री आ० वि० राव उप कुलपति; लखनऊ विदवविद्याख्य




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