तेरहवीं तथा चौदहवीं शताब्दियों के समकालीन हिन्दी साहित्य में चित्रित भारत का सामाजिक जीवन | Terahavin Tatha Chaudahavin shatabdiyon Ke Samakalin Hindi Sahity Men Chitrit Bharat Ka Samajik Jivan
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
20 MB
कुल पष्ठ :
314
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)इल्तुतामश के पश्चात तीन दशकों का इतिहास उक्ते उत्तराधकारर्यो के अक्षता
दुबलता, अ्र्वमण्ता , तथा रालनपरगनतिक प्रभत्व के लर शासक तथा उमा वर्ग के
मध्य परश्घर संघर्ष का काल थी 124
अत: भारत दर में तुर्की धाप्राण्य का सम्मान इल्तुतमिषा की पत्यु के
पशवात उत्पन्न पारी स्थतियाँ के कारण जनता के मन मैं कम हो गया । भारतीय
शासकों और उसके शो ने तुर्कों द्वारा प्ीजत प्रदेशों पर अध्कार करना पुनः पुरू
फर गदया ।८° इतल्ुतपिष फ उत्तराधिकापरियों में योग्यतम राणिया थी तने तीन
वर्ष छह मास व ्ठह दिन तक शासन ौक्या। ठते यह आभास हुआ कक तुर्क सा्मंतों
की महत्पुकांक्षा कानून ओर व्यवत्था ठी स्थापना भँ गंभीर स्कातट डाल रहा है
और शॉपफ्ति संतुलन के लिए उनके परू्ठ उसने अतुर्क अमीरों का एक दल संगाठत करने
का प्रयास आरंभ... ' कर पदिया। इस नीति के फ्तत्वस्प प्रतिफ्रियाजँ की णो
घला आरंभ हुदै उत्ते रानिया का पतन हो गया 1 र्या क अंत तुं मलक
और अमीरों की सफतता थी । इसके बाद “ वाती” के दल ने दल्तानोँ णे पुने
भोर पदच्युत एने का अफार पूर्णतः अपने हाथ मैं ले लिया । उन्होंने सुल्तान के पद
पर अधिकार करने का प्रयत्न नहीं पक्या । सुल्तान केवल एक कठपुतली बनकर रह गया
था 1“ इल्तुतामि्ं के अंतिम उत्तराध्कारी नासिसद्ीन महमुद के काल के बीस वर्षों
मैं तह ही वास्तविकं शीतक था तथापि बीस वर्ष वह कभ शफ रहा ।
शमः ॥. ति (त भि अवन सिति मिनि कि कसल वि # भि ॥ ॥ 8. । भि तिति ति तमन विति ज जा विः (0 पि ग्निभिः 1 १
1244 हबीब त †ननामी , पु0 । %8
॥ | म सार गेव निनि (1
{254 तबकाते-ना सरी , तबका” 22-4
{26 तबकाते-नसरी , प0 392 तथा हबीब च गनिनामी प0 202 से 207
{27 मध्यकालीन भारत, भाग । सम्पापदित डा0 हमैखनन्द्र वर्मा, पु 157
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