मानस - बालकाण्ड के स्रोत | Manas Balkand Ke Srot

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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( ) आघा बांट दिया । जब सुमित्रा भी चरु की इच्छा से वहाँ आईं तो कौशल्या और कैकेयी ने अपना आधा-झाधा भाग सुमित्रा को दे दिया कौसल्याये. सकेकेय्ये अधमर्ध प्रयत्रतः | ततः सुमित्रा सम्राप्ता जगृध्लुः पोत्रिकं चर्म ॥ ौसल्या तु स्वभागाधं ददौ तस्यै मुदान्विता | केकेयी च स्वभागाद्ध ददों भरीतिसखमन्दिता ॥१ वाल्मीकि रामायण के अनुसार दशरथ न पायस का आधा भाग कौशल्या को दिया च्रौर आधे का आधा भाग अर्थात्‌ चतुर्थाशि सुमित्रा को दिया और बचे हुए का आधा माग केकेयी को दिया अवशिष्ट पायस को राजा ने पुनः सुमित्रा को दे दिया । कौसल्यायै नरपतिः पायसाघ ददौ तदा| चरद्धादर्धं ददौ चापि सुमित्रायं नराधिपः ॥ केक्य्ये चाविष्टाधं ददौ पुत्रकारणात्‌ | प्रददौ चाविष्टाधं पायस्यासतोपस्‌ ॥ श्रनुचिन्त्य सुमित्राये पुनरेव महामतिः | एवं तासां ददौ राजा मार्यांणां पायसं प्रथक्‌ ||र कालिदास ने रघुवंश में बिलकुल भिन्न प्रकार से पायस-वितरण का उल्लेख किया है-- झर्चिता तस्य कौसल्या प्रिया केकयवंशजा | श्रतः संभावितां ताम्यां सुमित्रामैच्छदीश्वर: ॥ {~ ते बहुज्स्य चिते पत्नयौ प्ुर्मदीदितः | + चरोर्धाधंभागाभ्यां तामयोजयतामुमे #5 तुलसी ने इनमें से किसी का भी अनुसरण नहीं किया हैं, बल्कि कुष्ट अंशा में वाल्मीकीय चौर कं अंश मे आध्यात्म रामायण चौर रघुवंश का सामास्ञ्रय करनं का प्रयत्न किया है-- अध भाग कौसस्याहि दीन्हा | उभय भाग श्रघे कर कीन्हा ॥ य १. श्रध्यात्म रामायण, बाल ० ३ १०--१२ वाल्मीकि रामायण, बाल ° १६ 1 २६-२६ डे, रघुवश १०. ५.५---५६




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