इंग्लैंड, जापान एवं रूस का आर्थिक विकास | England Japan Avam Russe Ka Aarthik Vikas
श्रेणी : अर्थशास्त्र / Economics
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
5.35 MB
कुल पष्ठ :
242
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)औद्योगिक सान्ति और उसके प्रभाव 19 चेकारी फैल जादी थी । कहने का झाशय यह है कि श्नौद्योगिक दान्ति ने पिकट सामाजिक समस्यायों को नन्म दिया जिनसे आज भी सयाज का एक बड़ा वर्ग पीटित हैं । 8 चमिकों की कुशलता पर प्रमाव--यौयोगिक करार्ति से बहुत से थमिकों की कुशलता मे ह्लास हुआ 1 उतकी उत्पादन-शक्ति मे कमी झाई । पहले वे सम्पूर्ण वस्तु स्वय बनाते थे लेकिन श्रव श्रम-दिभाजन के कारण बस्तु का एक भाग ही बनाने लगें । अतः उनकी कुशलता पहले जैसी नहीं रही 1 9 टुक-प्रया-ओद्योगिक कान्ति ने ट्रकसपा को शी प्रोर्साहन दिया 1 प्राय. श्रमिकों को उनके वेतन का भुगतान वस्तुझी के रूप में किया जाने लगा जो बचत भी था उससे उन्हें उद्योगपतियों ब्वारा खोली गई दुकानों से ही सामान खरीदना पडता था । पुजीपतियों की नीति ऐसी थी जिसके फलस्वरूप श्रमिकों की सम्पूखं श्राय व्यय हो जाती थी और उन पर कर्जा चढ़ जाता था। इस रिपति में बुत मांगे चलकर सुधार होने सगा । 10 पारिवारिक जीवन मे ह्लास--भौयोशिक ने श्रेमिको के पारिवारिक जीवत को नारकीय बना दिया । श्रमिक भधिकाँश समय कारखातों में दिताने ले सर इस सपगे परिवार से बहुत ग्रथिक समय तंक दूर रहने लगे 1 घर लौटने पर भी थकान के कारण उन्हें मोने के भ्रतिरिक्त दुछ नहीं सुमता या | इन सब दानों से श्रमिकों का पारिवारिक जीवन अत्तनव्यस्त हो गया। कुछ सेसको का मत है कि कारवाता-प्रशाली का पारिवारिक जीवत पर प्रभाव पड़ा क्योंकि श्रसिक नियमित रूप से कम करने के श्रम्यस्थ हो रा जिससे उनका मंतिक उत्थान हुधा 1 11 स्ापभाजिक चेतना का विकास--श्रीमती नोल्स वी मान्यदा है कि यदि राज्य मान्ति ने वैयक्तिक स्वतन्त्रता श्रौर समानता बा प्रा पटाया तो ब्रिटिश झौद्योगिक कार ने चंथक्तिया स्वतन्त्रता का शियात्मक उपयोग सम्भव वना दिया 1 श्रौद्योगिक क्रान्ति ने में श्रमिकों में यगठन शक्ति का विकास किया म्ततोगर्वा ऐसी सामाजिक चेतवा प्रंदा हुई जिसने व्यक्ति के सम्मान गौर पद अधिकारों की सफलतापूर्वक मांग की 1 तिक श्रमाव इग्लैण्ड के सिए भ्रौद्योगिक क्रान्ति के राजदीनिक प्रणव अत्यन्त महत्त्वपू्ण और दुर्नामी हुए 18वी शतारदी के मध्य तक प्रिटिश ससद में केदल भमिपतियों का ही प्रभाव था लेकिन झौचोगिंक कान्ति के कार छोटे नगरों ब्ौर गधों लोकसभा में प्रतिनिधि भेजने गया वड़े नगरो को भतिनिधित्व देवे को माँग जोर पबटने लगो । चलकर ससदीय सुधार को हर माँग को छपेला नही ही जा सकी 1 आोदोपिक वान्दि वे ऐसा बावावरण नेदार कर दिया कि पिटिश सरकार
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