विज्ञान परिषद् अनुसन्धान पत्रिका | Vigyan Parishad Anushandhan Patrika

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Vigyan Parishad Anushandhan Patrika by डॉ. सत्यप्रकाश - Dr Satyaprakash

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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गुर, 7; तथा -छ-फलनों वाले कतिपय अनन्त समाकल 15 =-1(‡-- 8)८-1/2 (¢ -- 2.4८} - (८16 + 412 /2 7 71-2 12 4 | 2 (1- 24८4८) ०/2 हि दे {--।४---0ै- ण, 0) ठ (५ कः ¢ + 0); (1. (चः ल्‌ | (81; 1) 2 कक ते (6. कि | (८) > ©, 7२ (८) > 0, ^ (‡- 5) 0, (¢ -- 24८८) ¬> 0, 0>0, 0 <<, 0 <<< 1, > 0, [27 €| < द के लिये विहित है 1 ` 4 7) पु यदि नच्च ८ 2 ¢+ ¢ #-- 2 110 तथा (81-०1-८0 2 +] न 1111 {= नव दि >>0; #¢=- 1, ... , 2. जव ०== 0, ¢१-1== -^८/2--०/?-1-6/2, ¢. ==//2-- 8/ --०/2 + के न न, श~ --- = =-11---- 4 -2 = 1; तो (6) सक्सेना [11, ] 668(5) 1 दवाय दिए गये फल क) रूप धारण कर लेता है । उदाहरण 2. 1 *५ ५ न है. = (7 (५ £)], सान लेने पर्‌ तथा [12 {. 162] का उपयोग करने पर ।(1- प्रमेय से निम्नांकित फल प्राप्त होता है :- 9 {४ १ (^ 1, (क (4८ (2) १८ व) -22 (2 1-06-1 दद) विकार | (न म), (न) 1 + 1 1 ४ 0.४ 4 (८-1-0४ -1-८42)2 ˆ ““2 ` | वू (८ -1- रा ८.४2) ८




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