तेलुगु वाड्मय विविध विधाएँ | Telugu Wadmay Vividh Vidhaen
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
21 MB
कुल पष्ठ :
159
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)तेलुगु भाषा और साहित्य
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''पलिकेडिदि भागवतमट
पलिकिचेड्वाड रामभद्रडट
ते पलिकिन भवह्र मगुनट
पलिकेद वेरंडगाथ पलुकगनेल ।''
अर्थत्--' भमै भगवान की सजना कर रहा हू । भगवान रामचन्द्रजी स्वयं
मेरे मुँह से बुलवा रहे हैं । इस ग्रन्थ की रचना द्वारा भवसागरसे पार
पा सकता हू; अतः मै किसी दूसरे काव्य का प्रणयन क्यो करू !”'
पोतना भगवत भक्ति प्रधान काव्य है । इसमें भक्ति और वेदांत संबंधी
अनेक आख्यान वणित हैं जिनमे प्रह्लाद चरित, वामन चरित, श्वरद्धार
गजेन्द्र मोक्ष, नरकासूर वध, कुचेलोपाख्यान, ध्रू.वोपाख्यान, अंबरीषोपारुयान
ओर रुकिसिणी-परिणय विशेष' लोकभिय हैँ। ये आख्यान महाकाव्य की
श्यूखला की कड़ियाँ होते हुए भी स्वतंत्र अथवा भिन्न खण्डकाव्यों के रूप में
बन पड़े हैं । पोतना की कविता प्रांजल, ललित एवं मधुर है । इस काव्य में
चमत्कार बैचित्य और उक्ति वैचित्र्य दृष्टव्य हैं ।
कवि सावभौम श्रीनाथ इस युग की सबसे बड़ी विभूति थे । तत्कालीन
सभी राजदरबारों में जाकर कनकाशिषेक का सौभाग्य प्राप्त किया । इनके
वामपाद में गण्डपेण्डेर (स्वर्ण घंटिका) पहनाकर सम्राटों ने अपना अहोभाग्य
माना । धन, कनक, वस्तु, वाहन, अग्रहार उपाधियाँ देकर इनका सत्कार
किया । थे रेड्डी राजाओं के दरबारी कवि थे और वहाँ शिक्षाधिकारी के
पद पर नियुक्त थे । अपने जीवन-काल मे इस महाकवि ने जैसे ऐहिक
भोग-विलासों का अनुभव किया, वैसा अन्य कवियों के लिए दुलेंभ था ।
तेलुगु के मर्मज्ञ विद्वान चिलुकूरि वीर भद्रराव ने एक स्थान पर लिखा है--
“श्रीनाथ का जीवन-चरित्र प्रस्तुत करनेका अभिप्राय है, १५बीं शतीके
आन्ध्र देश का इतिहास लिखना ।” इन्होंने एक दजन से अधिक काव्य-ग्रन्थों
का सृजन किया है, जिनमें “श्ज्जार नेषधमु', काशी खण्ड, (भीम खण्ड,
'पलनाटि वीर चरित्र, शिवरात्रि महात्म्यमु', हरविलास मख्य है । तेलुगु
कविता को प्रौढता प्रदान करने काश्य श्रीनाथ को प्राप्त है । तेलुगु वाङ्मय की
विविध शाखाओं को जन्म दिया तथा भाषा, भाव, शैली, छन्द, अलंकार आदि
की दृष्टि से भी समृद्ध बनाया । चाटूकितियों के कहने मे भी ये अत्यंत पटु थे ।
सिरिगलवानिकिं जेल्लुनु' नामक पद्य में कवि ने अपने आराध्य पर अच्छा
व्यंग्य कसा है । इसमे उनकी विनोनप्रियता का भी परिचय मिलता है । एक बार
कवि पहाड़ी प्रदेश में यात्रा कर रहे थे । उन्हें बड़ी प्यास लगी । आराध्य
देव का स्मरण किया--हे परमेश्वर, विष्णु जैसे धनी व्यक्ति चाहे सोलह
हजार नारियों के साथ विवाह कर सकते हैं, तुम तो फकीर हो, तुम्हें दो
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