जयजिनेन्द्र | jay jenendra

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jay jenendra  by अज्ञात - Unknown

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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( १३ ) भजन ने० ॥ १५ ॥ तजे--थियेटर । चो रख मि, चखो रट मि, चो रख मि दम सच सारे, सुनिराज है तारन हारे ॥ ठेर ॥ पुज्य जवादिप्टाख्जी मुनिराया । जैनध्म को खूब दियाया ॥ क्रोध मान माया को मारे ॥ मुनि ॥ १ ॥ माता नाथि वाई के जाये । पिता जीवराजजी हरखाये ॥ जन्मे थांदले शहर खुखकारे ॥ मुनि ॥ २ ॥ दीक्षा मगन मुनि से पाई । मोतीलालजी है गुरुभाई ॥ जाऊ' सदा ईनकी वलिद्दारे ॥ मुनि ॥ 9 ॥ पच महाव्रत निरमख पाले | पट्काया के है रखवारे ॥ सुमति पच गुप्ति जण धारे ॥ मुनि ॥९॥ नीति न्याय सिद्धांत अति जाने ! जेन आगम खूच पदिचाने ॥ वाणी अग्रत रस वस्पारे ॥ मुनि ॥ ५॥ ऐक नव दोय सात में आये । मुनि णकादश सग लाये ॥ शहर वीकनेर गुकजारे ॥ मुनि ॥ ६ ॥ नेमचन्द्‌ मुनि शण गावे । द्रशनं कर अति खख पावे ॥ चद्णा हो वारम्वारे ॥ मुनि ॥ 9 ॥ ॥ इति ॥ भजन नं० ॥ १६ ॥ तजे-लेलो २ वीर प्रभु प्यारे की लोड़िया लेलोजी । पुज्यजी का किया है द्रशन के चित्त इरखाया जी ॥ टेर ॥ पंच मद्दात्रत चिरमल पाले । पंच खुमति अनुसारे चाले नरनारी




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