भूरसुंदरी विद्या विलास | Bhur Sundari Vidya Vilas

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Bhur Sundari Vidya Vilas by अज्ञात - Unknown

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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- ` भथस-प्रकरणः ई धनुः शत.तीन अरु आधा, प्रभू को देह लो जानी }: ` पोच शत लाख पूरव को, प्रभू को आयु माना. है. ।१५॥ कनकं शुभ वणं है तनुको, कपी? को चिन्ह है शोभित }. ˆ: इद्धाङ्क वंश ` नभयाना?, जयंत. सब ने वखाना है ॥१६। च्यवन वैशाख शुक्ला मे, चतुर्था.जन्म पुनि खामी । ': द्वितीयाः साध शुक्ला को, लियो जगः मोद माना है ॥१७॥। द्वादशी साथ शुकला को, करम -रज नाश के हेतू ॥ लर दीछा भ्रभूवर ने, सुनी. जन मोद साना दहै ॥१८। चतुदशि पौप सुदि की हू, सक्रल वस्तू निदर्शक उ यह्‌ । -.-.-- लियो केवल प्रभूवर ने, सकल कमा नशाना है 1 १६॥ तपस्या मास खम की, शिखरि सस्मेततनी के पर. ` ` स्ति ठम राधणमे खामी, अहा नि्वांन पाना दै ॥२०॥ सहस इक साधु संख्या थी, प्रभूवर की जरात जानी । : को सिमा कटि सके प्रयु की, फणी शेषहु थकाना है ॥र१॥। भुरा तुव नाथ दासी दहै, जरा मेरी सरवर ले लो। अरज सुनलो तुरत स्वामी, वुम्दीं सन लायो ध्याना है ॥२२॥. मेरी सेया को अवदधितें* उतासो पारे स्वामी। सकल जगं हेरि. भँ देख्यो; सहायक तुमको .जाना हे ।(२३॥ . हि श्र संमातेनाथ स्तवन | (राग दश्च ) खरा टक सोच एे माक्षिल, कि दम का क्या.ठिकनाहे। ` निकल जव यह गया तनसे, तो. सव अपना विगाना हे ।। १.॥ ------- १-न्वद्र । २-विमान । ३--सं वस्तुं का क्न करानि काला) न्न्न्देशाख ! ६नतसार सपद} र्‌




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