चिन्मय | Chinmay
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
5 MB
कुल पष्ठ :
172
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)चिस्मय ७
में उस अर्निय युन्दरी को देखता री गह गया 1
सरकार साहव की विशेष कृपा को उस मोंटेल की सहज स्वीकृति जेंने
मिल गयी हो । रंगौन परोंवाली तितली की तरह सुसकराहट उसके चेहरे पर, पर
फेला कर उड़ गयी । मैं सम्माहित सा, ठगा हुआ सा, वहीं खडा रह गया । तय
उसने कहा, गे एण्ड निट!
मुझे असमथता, अनानता का भान हुआ । कापी पेसिल सभालकर, एक
खाली सीर पर, सबसे पीछे बैठ गया ।
देखता रहा, उस मोटेल की ओर, जो मरी ओर नहीं देख रही थी ।
दैमोस्ट्रेटर महोदय आ गए। प्रविष्ट व्रियावियो क पाय ने उन्होंने प्रवेश
टिकट ले लिए। मेरे पान भी आए, तभी उसने आकर, जैसे अचानक याद
आ गया हो, कहा, सरकार साय आए ये । उन्होंने इनके बारे मे कहा है कि
इन्हें चेठने दिया जाय ।
स्ट्रटिर ने सुससे फुछ भी नहीं पूठा । वे दोनों साथ ही साथ सामने
सजाए हुए त्तस्तें पर चले गये । टेमोस्ट्टेर महादय तख्ते से नीचे इतर आये ।
सामन वटे नियायियो के। प्रारम्मिझ निर्देशन देने लगे ।
वह महिला तस्त पर सदी हो गयी । लगा कि जमे बह सारा क्ठास
को नौलने का प्रयत्न कर रही हो । एक ही क्षण के पधात नेयमी नार्य नीचे
सरकने लगी 1 वर पास ही एफकनित हो गये । उसका गोरा शरीर अनावरण
हो गया ।
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म उपर् म नेचि नक विद्र सखा गया
पठन ठार नानोदय हुभे~-परट स्य है ।
से एफटक इसकी सर देता न्दा । टमेद्धदर कटी निमा मे
सोवा झुसा तो चेय चनासे में नस्टीन हो गया मार भावनाएं पेस्ट
से रीची जनियार्टी रेगाजा में जद ही दनी रहीं दिन गोमय न्म जाने गया
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व गया था उसके आनार्रप झधिए ना उनि ला सकता । न्ह
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यारिए भट सन गया |
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