गुजराति दिग्दर्शन भाग १ | Gujrati Digdarshan Part I

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Gujrati Digdarshan Part I by अज्ञात - Unknown

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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(७) ग्रेसनन्द का सपना, निर्दोष, ऊंचा, सथ्ा साहित्य ब्रहुत फम है । इसलिये उनकी कितनी ही फतियों को साइिस्यिक रूप देना एक विचार-पूर्ण प्रश्न है । ग्रेमानन्द के जीवन के प्रति दूंत कथाएं बहुत हैं । घचपन में चह पद थे । भाग्य से कोई भला घादमी सिल गया 'ौर यह लेखक हो गया । प्रेमानन्द को श्रपनी भाषा पर श्रधिक गव था + शामल- संवत्‌ १७४० से १८२५-३० तक्‌ । शाल के जीवनके वारे मे करुच्र पता नष, इतना 'झवश्य है कि घट 'प्ररमदावाद के पास जेतलपुर का निवासी था । शामल भी प्रेमानन्द का समकालीन था, इससे भी एक चाद इतनी दी प्रतिष्ठा पाली थी जितनी कि प्रेमानन्द ने । शामल बाताकार ( कहानी कार ) था । इसके श्याख्यन शारो मे सरक प्रचलित थे तथा वार्ता गाँवों में । इसका साहित्य अधिक तर संरछृतपर श्राधारिव दतं बथाए हूं । प्रश्नोचर कर उसे रसिक बना देने का शामल में एक विशेप गुण था तथा यह स्वयं सकी शैली थी । नकी वार्ता को सुनकर एक ज्मीदार इतना प्रसन्न हुश्ा था कि इन्हें ध्पने गांव लेज्ञाकर जमीन देंदी थी तथा वातश्च क} निस्वने के लिए खूब सद्दायना की । श्याज के युग में शामल की वार्ता तथा घरास्यान सभ्य पुरपों मे लोकप्रिय नष्ट ग्हे । शामल मे मदन मोहना, 'िधाविलामिनो, रावण सन्दोदये सवाद . हत्यादि पुम्ठकें लिखी हैं । शामल फी र्तिनी ही थातें ध्यान देने के योग्य हैं, विशेष कर रसर सी पान्र यहुन चहादुर, सादित्यिक, फार्य कुशल सघ्म कठोर इइ्य दे दे शर्रीर वाले हते थे |




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