मराठे और अंग्रेज | Marathi Aur Angrej
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
22 MB
कुल पष्ठ :
560
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about नरसिंह चिंतामण - Narasingh Chintaman
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)( श).
युद्ध मे सवारो कौ अपेक्षा तेपों का.सस्वन्ध पैदल सेना से
अधिक रहता है 1 शत्र का आक्रमण होने पर तापों की रक््ा
पैदल, सेना ही कर खकती है । अतः, यदिं आक्रमण करने
वाछी ' पैदल सेना कवायदी हे. ते चचाव क़रनेवाली
:.सेना का, भी, क़वायदी होना आवश्यक है 1 . हैद्रअली की
सेना कचायदी थी, फिर भी, माधवराव पेशवा,के अन्त तकः
अपनी सेना को कवायद रखने को आवश्यकता -पूना-द्रवार
'के मालूम नहीं हुई; क्यों कि एक तो हैद्रअलो की सेना नाम
मात्र को ही कवायदी थो,दूसरे इस प्रकार बहुत सेना रखने का
खुभीता पेशवा को भी नहीं था । उनका सम्पूण राउ
प्रायःसरज्ञाम में वटा हुआ -था और यह सर्रजास सिफ
घुड़सवारों का था । जो कुछ राज्य का हिस्सा सरकार
-के अघीन था उसकी आय से ख़च निकालकर अडरेज़ों से
लड़ने के लिए सेना तैयार रखना आवश्यक था । यदि सर-
जाम कम करने और सवार सेना घटाकर पैदल सेना बढ़ाने
' का- विचार किया जाता ता महाराजा के दिये हुए सरझ्ञाम-
मे चिना कारण हस्तक्षेप -कस्ने का अधिकार पेशवा का भी
.नहीं था । फिर नाना फडनवीस को ता . ऐसा अधिकार
होता ही कहाँ से ? बसई, :: कल्याण प्रभति काकन प्रान्त की
रक्षा अंगरेज़ों से करने के छिए नाना ने जो दे चार चर्षौ
तक दस पंद्रह हज्ञार खमयिक सेना र्वो थी वह सव
अशिक्षितं थी । उस पैदल सेना में सिंधी, रुददेढे, अरवी;
` पुरविया आदि सव परदेशी छाग थे )
अश्वायेदी सैनिकः पदर सेनाकेा सदा से तुच्छ सम-
` भते आते हे -अङ्गरेजों से साख्वाई कौ सन्धि तक .मराठों
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