गुलबहार | Gulbahar

Gulbahar by अज्ञात - Unknown

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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-ुख्वहार. _ .. १७: रे षद्‌ खश्च होवें रमी वो लाली तेरी . ठुआबमें है ॥ इआ खव माटम महठ्का , . तुझे मजा दिल कबाबमें है॥ इसी लिये जान .. जाना मैंने रखा दथेलीके काबमें है॥ न चैन हे केचेन पडा हूं नहीं ताब मुझ बेताबमें हैं॥ सिसक्ता० ॥३॥ गुरु गंगार्सिह है आलीम . उल्मा चदे झायरीर काबमें है ॥ समझना ` शायर गुबदीसिहको कहा ख्याक तेरे जवा- ` चमे है ॥ उमरावसिह वद्रीदत्तसे तुब तागा ` ताकि सहिसाबमें हे ॥ नजनमनसरको नही जानताजीता कौनसे निसाबमें है ॥ मिराजे इट्म छंभूने बनके मुंडी दादी तेरी पि्ता- वें है ॥ सिसक्ता रहेगा ० ॥ ४ ॥ सखी दौडकां. _ अजान जाती है मेरी पर हमे वो बोले ` नहीं ॥ क्या करे जतवीर हम दिलकी गीरह खोले नहीं ॥ सैकडों सद्में उठाते हैं सदा. देते उसे॥ थकगईं मेरी जवांपर वो तो कुछ ...




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