नर मेघ | Nar Megh
श्रेणी : उपन्यास / Upnyas-Novel
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
7 MB
कुल पष्ठ :
268
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)अध्यंदान
** ^~“ प्रज्वलित दीपशिखा ही कलमल करती है, बुभकर
तो वह् निष्कप हो जाती है । तुम भी श्रव, उसी वरह, मेरे पास
निष्कप हो; स्थिर होगई हो ।
-* उस्र दिन रात को तुमने फूलों की माला दी थी न !
याद हैं ? वद्द मेरे पास है । माला के साथ दी उस के पीछे की
भावना भी मुमसे ल्िपटी है ।
-“* तुम पत्थर टौ न । यही तुम्हें मेनि कदा मी था । और
पत्थर पर, पाषार-प्रतिमा पर सदा से श्रघ्यं चद्ाया
जाता रदा है।
००००० इसे स्वीकार करो ।
सवंदानन्द् वर्मा
User Reviews
No Reviews | Add Yours...