बिहारी का काव्य | Bihari Ka Kavya
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
11 MB
कुल पष्ठ :
278
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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की टीका की कोई प्रतिं श्रभो तक प्राप्त नहीं है। बंदीजन का उपस्थिति काल
सं० १८०२ हैं । रघुनाथ बंदौजन के रचित संथ हैं (१) काव्य कलाधार (२) रसिक
भीहन या जगत मोहन (३) इश्क महोत्सव ।
४--लालकब्रि बन्दीजन कृत “लाल चन्द्रिका' :
शिव सिंह सरोज ने काशीवासी लाल कवि बंदीजन की इस टोका का उल्लेख
किया है, जो महाराज चेतसिह की सभा के कवि थे । इनका उपस्थिति काल सुं ०
८३२ माना गया है । इनकी कृति 'सानस्द रस' का उल्लेखं शिव्सिह ने भी किया
है । लल्ल् जी लाल कत लाल चंद्रिका” से पृथक इस टीका को कोई भी अस्तित्व प्रतीत
नहीं होता । न जाने किस प्रकार लल्लू जी लाल “लालकबि' को टीका के साथ लाल
कंवि बंदीजन नाम जुड़ गया 1
५--ऑअमर सिंह कायस्थ कृत रमर चंद्रिका रीका;
सिश्र बंघु विनोद में दिए गए झंक १०५८ के श्रनुसार छतरपुर के कुंवर
सोनेशाह से दीवान अमर सिंह ने बिहारी की गद्य-पद्य में अमर चंद्रिका टीका दसाई
थो । इनके रचित झन्य ग्रंथ हैं (१) सुदामा चारित श्ौर (२) राग माला ।
६--महाराज मानसिह् (जोधपुर) का टीका :
मिश्र बधु विनोद मे १६५५ अक पर महाराजा मानर्सिह (जोधपुर) को भी
बिहारी सतसई का टीकाकार लिखा है । श्राप रचित १८ ग्रन्थ गिनाएु जाति हैँ}
छ--राम जू की टोका :
मिश्र बंधु विनोद में १६८४ अंक पर रामु की बिहारी सतसई विषयक
दीका का उल्लेख प्राप्त होता है । इनका कविता काल सं० १९६०१ के पुर्व है ।
सरदार कवि की टोका :
कारीराज ईश्वरी भ्रसाद नारायण सिह के दरनारी कंवि सरदार इत टीका
रत्नाकर जी के पास थी | श्र इसकी वहु प्रति भी नष्ट हो गई है जिसके प्रतिलिपि
कार नारायशदास कवि थे । सरदार कवि रचित झनेक टौकाएँ प्रकाशित हुई किन्तु
लिहारी-सतसई की यह महत्वपूर्ण टीका इससे वंचित रह गई । सरदार कवि का
उपस्थिति काल सं० १६४० वि° है ।
&--गदाचर करत टीका :
इस टीका के कुं पृष्ठ स्व० रत्नाकर जी को जयपुर से प्राप्त हुए थे
गदाधर सुकवि पद्माकर के वंन ये !
१०--धनंजय कृत टीका
इसका उल्लेख “रस कौमुदी” में कवि ने किया है !
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