शासन के सिद्धान्त ओर प्रमुख शासन पद्धतियाँ | Theory Of Constitution & Important World Constitutions

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Theory Of Constitution & Important World Constitutions by पी. शरण - P. Sharan

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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१२ 1] णासन कैः सिद्धान्त संविधान की व्याख्या इस प्रकार कर सकते हैं : वे आधारभूत सिद्धान्त, जो किसी राज्य फे शासन फी बनावट और शासन के विभिन्न अंगों की शक्तियों, उनके जापी सम्बन्धो व राज्यों भीर नागरिको के पारस्परिक सम्बन्धों को निर्धारित करते ह, जो एक या मधिक आत्तेवों (0०८०7९05) में वणित होते 44 जिनमें परिवर्तन की फोई विशेष विधि होती है, राज्य का संविधान कहलाते हैं ।' उपर्यक्त परिभाषाभों व व्याख्यागोंसे एक यह बात स्पष्ट है कि प्रत्येक राज्य फे लिए संविधान का होना अनिवार्य है । कुछ लेखकों, जैसे डी० टॉकबिले का मत है किं इगलंड मे कोई संविधान नहीं है, क्योंकि वे केवल लिखित संविधान को ही संविधान मानते है । परन्तु वे 'संविधान' शब्द का संकुचित अथें लेते हैं। वास्तव में, संविधान के व्यापक अर्थ में इंगलंड तथा अन्य सभी राज्यों का अपना-अपना संविधान है, चाहे वह्‌ लिखित हो या अलिखित ।* ऊपर दी गई संविधान की परिभाषाओं से दूसरी नात यह स्पष्ट है कि संविधान कम या अधिक रूप में निम्नलिखित बातों को निश्चित करता है--(१) राज्य के शासन का स्वरूप मौर संगठन; (२) शासन के विभिन्न अंगों--कार्यपालिका, विधायिका और न्यायपालिका की शक्तियां ओर काये; (३) णासन के विभिन्न अंगों के आपसी सम्बन्ध; (४) नागरिको के अधिकार भौर कतेव्य; (५) शासन और नागरिकों के आपसी सम्बन्ध; और (६) संविधान के संशोधन हेतु प्राविघान (शफलपतणषट एएशंअं०ा5) 1 न्दः शासन (0०70५घ(एपि०081 (०४७ एश160)--जिस राज्य में निरंकुश `. राजतन्त्र (अथवा अधिनायकतन््र) होता है, वहाँ शासन की सभी शक्तियाँ व्यक्ति के हाथों में निहित व केन्द्रित होती हैं। सर्वोच्च सत्ता प्राप्त व्यक्ति . + इच्छा ही उस राज्य में कानून होती है और वहाँ पर शक्तियों का शासन के विभिन्‍न अंगों में वितरण नहीं होता । ऐसे राज्य या शासन को बिना संविधान वाला राज्य कह सकते हैं । इसके विपरीत संवैधानिक शासन का आधार कोई संविधान॑ होता है और शासन शक्तियों का प्रयोग शासन के उच्च अधिकारी तथा विभिन्‍न अंग संविधान द्वारा वित्तरित शक्तियों के अनुसार करते हैं । उदाहरण के लिए, प्राचीन तथा मध्य युग में अधिकतर राज्य ऐसे थे, जिनमें कोई संविधान न था, अतः: उनमें संवंधानिक शासन न था । आजकल भी ऐसे राज्यों के कुछ उदाहरण 1, 'पूफष पा एंघशाटाा 1 फशएंप्रटांए।€5 98६ ठंड शाएपए6 ८ छिए 01 8 58९ 816 ८211९611 6००5६ एण४०. 0९86 10वृए€ {€ 07० एर सत] 1706 51216 18 07९801860, € वाशप्एणठण ० 1६5 §0र्दल्टण ए0ला§ 37000 10€ ए877005 0172805 0 ह0श्लाणाालाा, {€ ऽ 870 0140067 ० इतं ऽ6€ 07 2०४८० ०714] {100611078. 27 {€ 7618100 ग ४९ 8०र्ध ० < 10 {€ 7€0०716 0ण्ला %01 115 80019 15 टरटाएां5६ऐ, नम. 0. एव, ए०पंपिटव 5०४, 0. 116. 2. +& ८०ण५पर(एपघं00 15 {€ 17016 ९0 ° {प0वेग्ला{8] 1९5 सप्ला 7 प्रणष्णां्टा, 1९६ 8०0 €गधठ 1९६81, दत्ल्नाठाणह 10 छ; 1! 2 एतस्य; न 00681९5, --4. रन, 00श्दा 7110 का +:




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