डॉक्टर नागेन्द्र की साहित्य साधना | Doctor Nagendra Ki Sahitya Sadhana

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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डा नगेन्द्र की साहित्य साधना विषयानुक्रमखिका विय पृष्ठ सगेन्द्र जी का व्यवितत्व १२५ प्रास्ताविकं, जीवन.क्रम, स्थुल रेवाएु, शिक्षा-क्रम, व्यावहारिक जीवने में प्रदेश, व्यक्तित्व विकासं-दिशा, . युग-प्रभाव और प्रतिक्रिया, स्वेभाव॑ और चर्या, जीवत-दर्शन, व्यवहार-आचार । मगेन्द्र - कवि के रूप में र१--३७ प्रास्ताविक, प्रर्णा-सौत, छायावाद का प्रधाव, अनुक्रम, छामावादो कवितां पर्प, नारी, प्रेम, विरह, विषाद ओर निराशा, कलापक } निवन्धकार नगेन्द्र २८--७५ प्राभ्तानिक, दहिन्दी-गच ओौर निबन्ध का विकोग, प्रेरणा-सोत, सोन्द्र जी के निबन्धो का वातावरण , व्याप्ता अर उसके उपकरण, मस्छृत के विद्रानो का नामोल्लेख, अन्य भारतीय पापाओकै विदानो का उल्देव, पाए्चात्य ब्रिद्यानी का उल्लेय, निवन्धो का घर्गोकरण, नगेन्दर जी के निवस्थों का वर्गीकरण, निचन्-तंली, निशन्धकरार नगेन का जातरिके सवषं, नगे जी के लेखी मे व्यवितत्व दी अभिव्यक्रिि, निवन्धो मे सजीवदा, व्यंग्य और भावात्मिवता, नगेख जी के कुछ विधिप्ट णंलौ वाति निबन्ध, नत्द्र वी. निवस्ध-एली वी प्रमुख विशेषताये, नगेन्द्र जी का निवस्ध-विधान, भाषा, निप्तपं । बआलोचक नगेन्द्र ७६-१४७ पीठिका, भारतेन्ट्र युग, द्विवेदी युग, शुक्षत युग, शुक्लोत्तर युग, व्यवितबादी पर्णन का विकास, हिस्दी-आलौचना मैं व्यव्तिवादी रविता, आचाय शक ओर्‌ आ मेन्द, दा० नगेख और




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