मन रे मन ही में रम | Man Re Man Hi Main Ram
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3 MB
कुल पष्ठ :
132
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)गरमी ने श्रनलाए् कौ क्या चाहिए ?
उरी छाया, मीठा पानी । शरण में ग्राया, रहें निगरानी 1!
तुम कल्यत्तर की छाया । में पथिक ताप मुरकाया
शरण तुम्हारी पाजाने भटकत भटकत हू श्राया
नू ज्ञानी मैं भ्रज्ञानी । न तो किस्सा नहीं कहानी
मेरी श्रादत है वचकानी 111 ॥
भेह मूषर का वासी! तृष्णा मेरी है प्यासी
जनम जनम से प्याऊ हू ढत श्राई अधिक उदासी
जल धीनल-मृदू पिलादों मुरमे दिल को सरसादों
तेरे लिए सब है श्रासानी ॥ 2 ॥
मे तो साधारण प्राणी । तुम हो महान वरदानी
तुम दाता याचक मैं तेग, स्थिति यह लगे सुहानी
पुरी हो सभी जरुरत, ग्रति दूर भागती किल्लत
श्रटचन वाधा हो लचखानी ॥ 3 ॥\
नमनारम-घोट पिलादो } या सकट कपु मिटादो
चन जाए गति प्रगति श्रसली मजिल सह मिलवादो
सच्ची है यहीं सफलता, पाजाऊगा अरलवत्ता
कोई फिए विना कुर्वानी ॥ 4 ॥
सुफनिन होवे जिर खाया व युणयायवः ह्र स्वासा
सुपर जीयन का हो जाए, साहू यहीं टिलासा
अमरन-घयलना पाऊ, सरमय सो सफन बलाऊ
ग्रचस्थिनि यह ही लायानी 1511
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