आर्थिक और ओद्योगिक जीवन [भाग 1] | Aarthik Aur Audyogik Jeevan [Vol १]
श्रेणी : अर्थशास्त्र / Economics
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
13 MB
कुल पष्ठ :
324
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about शंकरलाल बैंकर- Shankarlal Bankar
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)भूसिका
^“ ओक अन्य कारणसे भी, महात्मा गाधी -- व्यव्तिग मुझे जिस वातका
पुरा विश्वास है -- अक महान अतिहासिक विभूतिके रूपमे पूजे जायेगे ।
वह॒ कारण यह है वे दो अत्यत विभिन्न युगोकी ठीक सधिरेखा पर खड़े
हओ है! अक ओर तो वे भारतकी सन्त-सम्वन्ी परम्परागतं धारभाको
मूर्तिमान करते है और दूसरी ओर भुनमे हमे जननेताका भी अत्यत
आधुनिक और अुक्कृष्ट नमूना मिलता है । जिस हद तक अुनकी अैतिहासिक
स्थितिकी तुलना जान दि बैप्टिस्टसे की जा सकती है। बहुत सभव हं कि
मनुष्य भविष्यसे जैसा बननेवाला है, अुसकी अुस भावी स्थितिमे पुराने किस्मके
अकागी सतका घटनाओके निर्माणमे या जितिहासकी रचनामे विशेष स्थान
नहीं होगा । भावी मनुष्य सपूर्ण मनुष्य होगा, जिसमें आत्मतत्व और जड
तत्त्वका सतुलन होमा । लेकिन जिस नये मनुष्यके लिअ अभीष्ट परिस्थि-
तियोका निर्माण दोनो युगोके सधिस्थल पर आसीन गाधी जितना कर रहे
है, अुतना कोओ अन्य नहीं 1 ” *
-- काञुण्ट हरमान केसरछ्गि
गाधीजी ओक जटिल ओर अनबूझ पहेली थे। वे सन्त सी थे ओर् जन-
नेता भी यै । किसी अक व्यक्तिमे सत ओर जननेताका यह् सम्मिश्रण
अविद्वस॒नीय मालम होता है, लेकिन गाधीजी तो अद्भुत थे ओर यह् अविरव-
सनीय सम्मिश्रण वे सचमुच सिद्ध कर सके थे! विविध धमेकि लम्बे भिति-
हासमे सामान्यत यही माना जाता रहा है कि आध्यात्मिक मूल्य साधुओ और
सन्यासियोकी ही चिताका विपय है, ओर छोगोको अुनकी खास परवाह
नही करनी है। लोगोका परम्परागत विश्वास यही रहा है कि धर्मका
क्षेत्र अलग है ओौर व्यवहारका अलग. है, दोनोमे कोभ पारस्परिक सम्बन्ध
नहीं है । गाधीजी शायद पहले. अतिहासिकं व्यक्ति थे जिन्होने जीवनके
जिन दो महत्वपूर्ण क्षेत्रोके जिस कृत्रिम विभाजनकों चुनौती दी। बुन्होने
सामान्य दनियादारीके जीवनसे आध्यात्मिक मूल्योका सचार किया और जुनकी
* अेस० राधाकृष्णन् ढवारा सम्पादित ' महात्मा गांधी -- असेज अण्ड
रिफ्लेक्यन्स आँन हिज लाजिफ अण्ड वकं ' (जाजं, अलेन अण्ड अनविन),
पू० १६९ ।
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