आर्य्यधर्म शिक्षा | Aaryyadharm Shiksha

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Aaryyadharm Shiksha by रणवीर शास्त्री - Ranveer Shastri

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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( रैरे ) ज्योति बचे! खाद्ा ॥र॥ ज्योतिः षयः घ्या ज्योतिः खाहा ॥३॥ आओ सजुूर्देबेन सवित्रा सजूरुपसेन्द्रवत्या जषाणः सूर्यो वेतु खाहा ॥४॥ सायंकाल के मन्त्र ओं अप्िज्योति ज्योतिरग्निः खाहा ॥?॥ ओं अग्नि ष््ु त~ बेचों ज्योति बेचे! खाहाः ॥२॥ ओं अग्नि जयोति रभ्रिः खाहा ॥२॥ इस तीसरे मन्त्र को मन से उच्चारण कर आहनि देवे । ओं सजूर्देवन सचित्रा सजूरात्यन्द्रवत्या जुषाणा अश्रिरवेतु खाहा ॥४॥ कि पातः साये कं मन्त्र ओं भूरभ्रये प्राणाय खाहा इदमप्रये प्राणाय इदन्न मम ॥१॥ ओं युवत्रायवेऽ पानाय खाहा । इदं वायवेऽपा- नाय इदन्न मम।॥२।॥ स्वरादित्याय व्यानाय खाहा । इदमादित्याय व्यानाय इदन्न मम ॥३॥ ओं भूझुवः ख रग्निवाय्वादित्यस्यः प्राणापानन्यनेम्य व्यानेभ्य इदन्न मम ॥४॥। ओं आपो ज्योतीरसो ऽगरतं ब्रह्म भूथेवः स्वरो खाहा ॥५॥ ओं यां मेधां देवगणाः पितरश पासेत तया मा मद्य मेधयाग्ने मेधाविनं डर्‌ खादहा ॥६॥ ओं विश्वानि देव° मोर अग्ने नय सुपथा० इन दोनों मन्त्रो से पक २ श्राहुति देवे।




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