वैदिक साहित्य परिशीलन | Vaidik Sahitya Pariseelan
श्रेणी : हिंदी / Hindi
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
32 MB
कुल पष्ठ :
258
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)क, ॐ
: , मावृ-माषा में, जिसे हम बैदिक संसत कहते है, सवे गए दै तथा उन सवाँ की स्वना
5 सष्टि के झादि में वा किंसी एक काल में न होकर सहलो वषं मे मिन्न-मिन्न काल में हुई
7. हैं। योतों ऐतिहासिक तथ्य पर पर्दा डाल अन्धविश्वास कौ प्रश्नय देने वालों के लिए; कोई
जवावदही नहीं है। । र
. . वेद के ऋषि-कत होने के प्रमाण 9
` बेद मंत्र किसी ईएवर के रचे न होकर ऋषियों, की ही निजी स्वनाएँ हैं, इसके
कतिपय प्रमाण स्वयं वैदिक एवं लौकिक संस्कृत साहित्य में भरे पड़े हैं । निम्नलिखित .
.... उद्रणों पर हृष्टिपात कीजिए:-- | |
( १) ऋषे मंन कृतां स्तोमैः कर्यपेदर्थयन् गिरः । सोमं नमस्व राजानं यो य
वीरभापतिरिद्रायेनदो परिव | ऋक् ६।२१५।२०॥
८.९) शिवां अङ्गिरसं मंजछृतां म्ृदासीत् । सपिनरन् , पूच्का इत्या
म॑त्रेयत् ।| तां° व्राऽ १३।३।२४५॥ ं |
, ८३) नम करषिभ्यो मंत्रकदुभ्यः मंत्रपतिम्यो मा माशऋषयों मंत्रकतों .मंत्रपतयः पराहुः
माहम् ऋषीन् मंक्तो मंजपतीन् परादाम् | तै० श्रा०८ १। १||
यु इतऊर्ध्वान्मत्रकतो 5धवर्युव 'शीते । यथं म॑रङतोषणीत इतिविशायतें | स्त्या
` शरौ २।१।३॥ |
(५). तन्देवा काद्रवेयः रपं ऋषिम् | । ० ब्रा० ६। १॥
1 (६) श्रथयेषा मुह मंत्रझतोनश्यु: .स. पुरोहित . प्रवरास्ते प्रश्नणीरन, 1|श्ाप० श्री०
२५।९०।१३॥ . . 1 | ¦
(७) म्तेत्रशौते । यथि मंत्रकतोइशीत इति ज्ञायते ।।गराप० श्रौ ० २५।५।६॥
. , (८) दिणत उदज्ग इलो मकारः ॥ मा ० सू. शेयर ॑
44 ) दशिणतस्तिष्ठन् मं्रवान् ब्रह्मण , श्माचायविकाज्ञलिपूरयत् ।।ला० ० सूज
शबाना... | | , { ,
(१०) घुकेमं पाप मंत्र पुण्येषु इनः ॥ पाणिनि श्र ° ३।२।८६॥ जेसे---करमक्त,
` पापक्त् › मज् , पुरक्घत् इत्यादि ।
(९९) नव मंचको मंत्रेदूंरात् प्रशमितारिमि: । पत्यादिश्यन्त द्वमे दृष्ट लद्दयभिद्ः -
शराः ॥ रघुवंश १-६१॥ =` इन; कर, मे दर
( १२) त्रपयग्रणीर्मत्र कृतामृषीणां ऊशग्रहुदे कशली गुरुस्ते । यतस्त्वयाज्ञानमशेष्रं
{तं लोकेन चैतन्य मिवोष्ण रश्मेः | रघुवंश ५।४॥ |
[इन बाहो उदरणें मै म॑नछत्, बा मंनकतः, मंत्रझतामू ,. मंभकार: श्रादि इसके विविध
सान्तर झाए हैं जिससे सिद्ध होता हैं कि वेदमंत्र ऋषियों की ही रचनाएँ हैं, न कि किस 1
म
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