पद्मचन्द्रकोष | Padmachandrakosh
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
106 MB
कुल पष्ठ :
544
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about गणेशदत्त शास्त्री - Ganeshadatt Shastri
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)... . छोला गेंया है । थे धर्म अंथके समान पढ़ने कथमथ पद; २ कुमारसंभव और शकुतला, ४ शकुंतला, ५ मेघदूत =,
है यूब्यी ~ न | ६ कादम्बरी चित्र, ७ काव्यकी उपेक्षिता ये सात निबन्ध है
सरल मनोविज्ञान । इसमें मनोविज्ञान जैसेठिंन | और इनमें उक्त चीन अरन्थोकी मपू ओर मार्मिक समा-
` विषयको बहुत हौ सरल्तासे खगम साधा अल तरह | टोका फी गर है । थोड़ेमें ्हुत कह डालना रवि बाबूका
उदाहरण आदि देकर समझाया है. और प्रत्येक स्यायके | खास गुण है । मू० ॥)
अन्तमं एक रोचक प्रंश्नावली दी' है । मू० १ ॥) समाज । अयु० बाबु बद्रीनाथ वमौ एम० ए०, काव्य
कालिदास ओर भवभूति । सं्छतके दो षिद्ध | तीथ। यद भौ रवीन्द्रबाबूकी एक निबन्धावलीका अनुवाद
कवियोक्रे अभिज्गान शाष्न्तल ` ओर उत्तररामचि इन दो | दै । परमे भाठ निबन्ध दे-१ आचारका अत्याचार, २ समु-
नाटकोंदी गुणदोषविवेचिनी, म्मस्पर्िनी ओर हनात्मक | द्यत्र विलासकी फौँसी, ४ नकलका निकम्मापन
.... समालोचना । यह. समाठोचना कितनी बदिर्योगो, यहं | ५ प्रच्य ओर् प्रतीच्य, ६ अयोग्य भक्ति, ७ पूर्व और पश्चिम,
` बतलनेके किए इतना दी बतला देना काफी होगकि इसके |. विद्रीपत्री प्रभा्के सम्पादक लिखते है-“रवीन््नाथ `
ठेखक् सुप्रसिद्ध नाटककार ख ° द्विजन्द्रलार राय मू०१ ॥) । बावूकी छेखनीसे जो कुछ निकलता ह वह विचारोंका उत्तेज कि,
| सादहिव्य-मीमसिा) यदह भी एक समालोचःन्थ है। चित्ताकर्षक और अद्भुत हेता है। .....इस पुर्तकका हर ६
ईससं पूर्वके और पश्चिमक साहिद्यकी--यूरीग्रन और ं प्र्ना विचार पूर्ण उपदेशोसे भरा ह मूल्य ॥ |]
आयैसाहियकी-दुखनालक समाखोचना की ए है भोर | अञ्जना । रेखक--श्रीयुत ददन । एक पौराणिक `
इस देशके साहिलयको सब तरहसे आदरणीय) ओर | कथक़्े भाधार्से लिखा हुआ मौढिक नारक । स॒दशेनजी `
। महान् षिद्ध किया हे । मू० १1] । | सिद्धस कहानी रेखक है! उनका यह पहला ही नाटक
` राणा प्रतापसिह । खगीय द्िनेन्दवाकूं दुभ नार- है और श्समे भी वे अपनी खाभाविक प्रतिभके बरसे यशखी `
ऋका अनुवाद । इसमे महाराणा अताप, उनके 1६ शन्तसिंह, | ईए हैं मूल्य १४) 2
राजकवि पृथ्वीराज, उनकी खरी जोश्चीबाई, कवरकी कन्या मुक्तघारा । महाकवि रवीन्द्रनाथ ठाकुरके एक नये. |
` मेदरुननिसा ओर भानजी दौख्तुन्निसा आदि पाके चरित्र एक | नारक्का अनुबाद् । इसमे व्यक्तिगते सामाजिक, राष्ट्रीय और.
। अपूव जर अकल्पनीय ढंगसे चित्रित किये से हैं । सू० १॥) और भन्तरीष्ट्रीय समस्याओंपर एक नये ही ढंगसे प्रकाश .
अन्तस्तङ । इस छोटीसी पुसकमे सुर, दुःख, स्ति, | डाल गया है । प्रारेभे प्रो घमैत्द्रनाथ शाखी एमन एण,
मय, कोष, लोभ, निराशा, आशा, घृण, प्यार, रला, | तकपरिरोमणिकी एक विस्तृत भूमिका है जिससे नाटककां
` अतृपति जादि मानसिक भा्ोंको बिल्छुरटी अनोखे ढंगसे | अग्प्राय बि्कुर स्पष्ट हो जाता है। नाटकपाश्रोका चरित्र
चित्रित किया हे । मू० = विङ्हषण भी किया गया ह मू° ॥ 2) | ।
` जातिर्थोको सन्देश । मूरु-खेवक शेयुत पाठ स्चिई | प्रुहसव रुस्तम । सगीय दिजेन्द्रराल रायके बंगाली
ओर भूमिकाञेखक पादियसम्रार् श्री रीन््रनाथ ठक्कर । | नारका अहुवाद् । अनुवादक--श्रीमान् ससी अजमेरीजी ।
. इसमें साम्राज्यमद्से मतवाढी हुई पश्वा जाति्थोको बड़ा | लगभग तीन चतुर्थाश भाग पद्यका है । करुणरसप्रधान खेल
ही मार्मिक ओर चुभनेवाल्य उपदेश दियादै । मू* 1} | नेयोग्य नाटिका है 1 मू० ॥} १ वि
न वतेमान एशिया | पश्वा जातियोंने एशियाके अनेक | चन्द्रनाथ । बंगाठके इस सभयके सर्वश्रेष्ठ ॐेखक शर `
देश, परन्तों जीर अगणित द्वीरपोपर जिन धूर्तताओं, छछक- | चन्द्र चद्टोपाध्यायके सामाजिक उपन्यासका अनुवाद । बहुत.
पट, अलयाचारो ओर इठे प्रलोभनोसे जो भधिकार बिलार | ही मार्मिक ओर हदयद्रावक है । मू० बारह आने । =
किया है और अनेक बड़ी बड़ी जातियोंको अपना गुलाम |. अस्तोद्य और स्क्रावलम्ब र)
बनाया दे उनका सारा कचा चिठा युद्धकाले घा ¢ ते उपदे!
इसमें दिया है । मू० ९ |
.. नीति-विज्ञान । लेखक
न न का हिन्दीअनुवाद मू० ॥-] क १
| भारत-र्मणी। दिजन््र बाधका सामाजिकनारक मू०॥}.
| कोरम्बस । अमेरिकाका पत्ता लगनिवाले साहसीवीरका
श्लीवनचरित मू० ॥!) |
| सन्तान-कटपह्ुम । इस पुस्तके देशी विदेशी वथो
| लोर डाक्टरोॉकी सम्मतियोँ देकर मनचाही खूबसूरत, बलंः
वान् सौर नीरोग सन्तान उत्पन्न करनेकी बिधि शिखी गै
¶- | है । पू १)
User Reviews
No Reviews | Add Yours...