अनहोनी | Anhoni
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
26 MB
कुल पष्ठ :
284
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)मन मचल रहा है । कमिश्नर साहब भी बहुत खृश हो रहे थे । अमा
यार तुम भी हमारे साथ आओ । दोनों अन्दर चले गये ।
दोनो दोस्तों को अन्दर आता देखकर धरती मुस्करा पड़ी ।
अपने पति से कहा--जल्दी गाड़ी भेज कर राकेश को ले आइये ।
उसे देखने को मेरा जी मचल रहा है ।
सेठजी खुद ही राकेश को अपनी गोद में उठा लाए । अपने पत्ति
की गोद में पहली बार राकेश को देखकर धरती ने भगवान का शुक्र
अदा किया । दोनों बच्चों को घरती ने अपने दोनों बगल में सुलाया ।
बच्चों को देखकर धरती पुलकित हो रही थी । इतने में राकेश ने
रोना शुरू कर दिया । धरती समभझ गई कि उसे भूख लगी है ।
आज पहली बार राकेश को अपने स्तनों से दूध पिलाना था । घरती
ने अपने पति तथा मि० चौधरी को बाहर जाने को कहा । जब दोनों
चले गये तब धरती ने पहली ही बार राकेश को अपना दूध पिलाना
शुरू किया । राकेश दूष पीता रहा और धरती राकेश को दूध पीता
देखकर अत्यन्त प्रसन्न होने लगी । राकेश टूध पी हो रहा था कि बच्ची
ने रोना शुरू कर दिया । बच्ची को रोता देख धरती के मुख से हंसी
छूट पड़ी और हंसते हुए कहा - मेरी बच्ची, मत रो, तेरी भी बारी
आती है, पहने अपने भया को दूध पीने दे, फिर तू जी भर कर
पीना । राकेश ने दूध पीना बन्द कर दिया, वह सो चुका था । राकेश
को धरती ने दाई और सुला दिया और बच्ची को दूध पिलाने लगी ।
धरती अस्पताल से वापस अपने घरमे आ गई । बच्ची का नाम
हैमकला रखा गया । दोनों बच्चे पलते रहे । धरती बहुत खुश थी ।
भगवान ने उसे दो मुस्कुराते फूल दिये हैं जिन्हें देखकर घरती फूली
नहीं समाती । सेठ दीनदयाल भी बहुत प्रसन्न थे । कमिइनर साहब
` मिस्टर चौधरीजौ कभी-कभी हेमकला को देखने आया करते । उनकी
, दिलचस्पौ रकेशमे कम और हेमकला में ज्यादा थी । वह हेमकला
को प्यार से हेमा कहकर प्यार करते । इस प्रकार सब घर के लोग
नौकर-चाकर स्वयं धरती तथा सेठजी भी बच्ची को प्यार से हेमा
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