अनहोनी | Anhoni

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Anhoni by आर. वी. शर्मा - R. V. Sharma

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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मन मचल रहा है । कमिश्नर साहब भी बहुत खृश हो रहे थे । अमा यार तुम भी हमारे साथ आओ । दोनों अन्दर चले गये । दोनो दोस्तों को अन्दर आता देखकर धरती मुस्करा पड़ी । अपने पति से कहा--जल्दी गाड़ी भेज कर राकेश को ले आइये । उसे देखने को मेरा जी मचल रहा है । सेठजी खुद ही राकेश को अपनी गोद में उठा लाए । अपने पत्ति की गोद में पहली बार राकेश को देखकर धरती ने भगवान का शुक्र अदा किया । दोनों बच्चों को घरती ने अपने दोनों बगल में सुलाया । बच्चों को देखकर धरती पुलकित हो रही थी । इतने में राकेश ने रोना शुरू कर दिया । धरती समभझ गई कि उसे भूख लगी है । आज पहली बार राकेश को अपने स्तनों से दूध पिलाना था । घरती ने अपने पति तथा मि० चौधरी को बाहर जाने को कहा । जब दोनों चले गये तब धरती ने पहली ही बार राकेश को अपना दूध पिलाना शुरू किया । राकेश दूष पीता रहा और धरती राकेश को दूध पीता देखकर अत्यन्त प्रसन्न होने लगी । राकेश टूध पी हो रहा था कि बच्ची ने रोना शुरू कर दिया । बच्ची को रोता देख धरती के मुख से हंसी छूट पड़ी और हंसते हुए कहा - मेरी बच्ची, मत रो, तेरी भी बारी आती है, पहने अपने भया को दूध पीने दे, फिर तू जी भर कर पीना । राकेश ने दूध पीना बन्द कर दिया, वह सो चुका था । राकेश को धरती ने दाई और सुला दिया और बच्ची को दूध पिलाने लगी । धरती अस्पताल से वापस अपने घरमे आ गई । बच्ची का नाम हैमकला रखा गया । दोनों बच्चे पलते रहे । धरती बहुत खुश थी । भगवान ने उसे दो मुस्कुराते फूल दिये हैं जिन्हें देखकर घरती फूली नहीं समाती । सेठ दीनदयाल भी बहुत प्रसन्न थे । कमिइनर साहब ` मिस्टर चौधरीजौ कभी-कभी हेमकला को देखने आया करते । उनकी , दिलचस्पौ रकेशमे कम और हेमकला में ज्यादा थी । वह हेमकला को प्यार से हेमा कहकर प्यार करते । इस प्रकार सब घर के लोग नौकर-चाकर स्वयं धरती तथा सेठजी भी बच्ची को प्यार से हेमा १४




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