कवि कर्णपूर कृत चैतन्यचन्द्रोदयम् का आलोचनात्मक अध्ययन | Kavi Karnapoor Krit Chaitanyachandrodayam Ka Aalochanatmak Adhyayan
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
33 MB
कुल पष्ठ :
303
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)काल
निता वि निन प
कवि कर्णर का जन्म-स्थान “कात्चनपल्ली“ दहै | १ *काञ्यनपल्ली
पुर्व समय मँ बंगाल के विख्यात गाम ”कमारहदुट” की एक विर्गिषट पल्ली ओर
बंगाल के 2५ परगनों में से “हालिसहर” परगना के अधीन थी 1 कवि कर्णर
चैतन्य-प्रभ्न के समकालिक थे जिसके कारण इनके काल निर्धारण का कार्य भी सुकर
हो जाता दहे । इस सम्बन्धर्मे कर्णपूर की कुत्तियोँ से प्राप्त होने वाले साहित्त्यिक
पुमाण तथा अन्य बाह्य प्रमाण भी हमारा पर्याप्त तथा प्रामाणिक दिशा निर्देश
- ` करते है |
अन्तः ताष््य-
कयि कर्णपूर ने अपनी कृति चैतनयचिितामृतम् मे स्वयं कौ शिश कहा
है । शब्दकोधानसार रप्रावावस्था जन्म से लेकर घौडघ वर्ष पर्यन्त मानी जाती है
चैतन सच रितागृतम् का रचनाकाल कयि कर्णपूर के अनुसार 15५2 ई0 है । 1 इस पकार
कवि कर्णपूर का जन्म काल 1526 ई0 प्रमाणित होता है
। -{ । { = गौरपदतरंगिणी, जगदबन्ध भद्र [तम्पादका, पध संस्करण, पृ०-51. 181.
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५ अ प्रैष्रावं पभपरितणिलासक््क्षि
केरिचन्मुराटिशिरिति मह्भूःलनामधयः ।
यधद्विलासललितं समलेखि तच्ज्े-
त्तत्तद्विलोक्य विलिलेख शिषः स एघ । । चैतनयचरिितामुतम्, 20.५2
नि वेदारसाः श्रृतय इन्दुरिति प्रसिदि
शाके तथा खल शचौ सभ्गे च मासि |
वारे सधाणिरणनाम्न्यभिि्तद््ितीया-
शिध्यन्तरे परिप्तमप््तिरसदमष्य ।। वही. 20८५9.
५
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