कवि कर्णपूर कृत चैतन्यचन्द्रोदयम् का आलोचनात्मक अध्ययन | Kavi Karnapoor Krit Chaitanyachandrodayam Ka Aalochanatmak Adhyayan

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Kavi Karnapoor Krit Chaitanyachandrodayam Ka Aalochanatmak Adhyayan  by संगीता श्रीवास्तव - Sangita Shrivastav

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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काल निता वि निन प कवि कर्णर का जन्म-स्थान “कात्चनपल्ली“ दहै | १ *काञ्यनपल्ली पुर्व समय मँ बंगाल के विख्यात गाम ”कमारहदुट” की एक विर्गिषट पल्ली ओर बंगाल के 2५ परगनों में से “हालिसहर” परगना के अधीन थी 1 कवि कर्णर चैतन्य-प्रभ्न के समकालिक थे जिसके कारण इनके काल निर्धारण का कार्य भी सुकर हो जाता दहे । इस सम्बन्धर्मे कर्णपूर की कुत्तियोँ से प्राप्त होने वाले साहित्त्यिक पुमाण तथा अन्य बाह्य प्रमाण भी हमारा पर्याप्त तथा प्रामाणिक दिशा निर्देश - ` करते है | अन्तः ताष््य- कयि कर्णपूर ने अपनी कृति चैतनयचिितामृतम्‌ मे स्वयं कौ शिश कहा है । शब्दकोधानसार रप्रावावस्था जन्म से लेकर घौडघ वर्ष पर्यन्त मानी जाती है चैतन सच रितागृतम्‌ का रचनाकाल कयि कर्णपूर के अनुसार 15५2 ई0 है । 1 इस पकार कवि कर्णपूर का जन्म काल 1526 ई0 प्रमाणित होता है । -{ । { = गौरपदतरंगिणी, जगदबन्ध भद्र [तम्पादका, पध संस्करण, पृ०-51. 181. ॥।। {16 €822८41# 1215६02 07 {€ /01 50117५2 181} 10 ज्ला1€1 11 2361421, ८, 3० <. 06४, [2.32 १।।।१ 2150505५ [1६९7 प्ता-ल ०7 ॥6त16५31 8619281. 2, 2 ला, 2.71 १।५१ 1 ०६०४ ०7? 01255281 581051८1 1 1.1८6.782 ८८2€ + {<~1 5111157561827 ५ अ प्रैष्रावं पभपरितणिलासक््क्षि केरिचन्मुराटिशिरिति मह्भूःलनामधयः । यधद्विलासललितं समलेखि तच्ज्े- त्तत्तद्विलोक्य विलिलेख शिषः स एघ । । चैतनयचरिितामुतम्‌, 20.५2 नि वेदारसाः श्रृतय इन्दुरिति प्रसिदि शाके तथा खल शचौ सभ्गे च मासि | वारे सधाणिरणनाम्न्यभिि्तद््ितीया- शिध्यन्तरे परिप्तमप््तिरसदमष्य ।। वही. 20८५9. ५




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