मुस्लिम संत - चरित | Muslim Sant - Charit
श्रेणी : धार्मिक / Religious
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
7 MB
कुल पष्ठ :
198
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)अबुल हसन नचूरी ,
है।” आशइ्चयं से लोगो ने पूछा, “यह कंसे ?” बोले, ष् मुत
के लिए हमाम मे गया । एक शख्स बाहर से मेरे कपडे उ केन्य
बाहर आकर देखा तो कपडे न थे । मैंने अल्लाह से कपडे मागे । उसी वक्त
वह शख्स आया और मेरे कपडे मुझे देकर कष्ट के लिए क्षमा-याचना करने
लगा।'”” |
एक वार वगदाद मे आग लगी । बहुत लोग जल गये । एक अमीर
केदो गुलाम भीउस आगमे थे) वहं अमीर उन्हे बचाना चाहता था ।
बोला, “जो कोई इन्हे निकाल लायगा, मै उसे हजार दीनार इनाम मे
दगा ।” उसी समय नूरी उधर से गुजर रहे थे । विसमित्लाह् कहकर यह्
माग के अन्दर गये ओर उन गुलामो को निकाल लाये। उनपर आग का
जरा भी असर न हुआ । उस अमीर ने दो हज़ार दीनार इनके सामने रखे,
मगर इन्होने नहीं लिये । वोले, “ये तू ही ले ले । मुझे इसी न लेने की
वजह से मल्लाह ने यह अज़मत दी है । मैंने दुनिया को आखिंरत से बदला
है।”
कुदसिया के निवासियों ने एक आवाज़ सुनी--“हमारा एक दोस्त
भयकर पद्ुुओ से भरे एक जगलमे है, उसे आबादी मेँ ले आओ 1” लोगो
ने तलाश क्यातो इन्दी नूरी को एक कब्र के अन्दर बैठे देखा । आग्रह
करके लोग इन्हे अपने साथ ले गये । फिर पूछा, “ऐसे मुकाम पर आप क्यो
बेठे थे ?” बोले, “मुक्े सफर में कई दिन खाना नहीं मिला । मैं एक मुकाम
पर पहुचा, जहा खजुर का बाग लगा था । मेरा नफ्स खश्च हुभा । उसको
सजा देने के लिए मैने खजुर का वाग तकं करके यहा सकूनत इर्तियार
कौ थी 1
एकवार इन्होने श्रगारा हाथ मे लेकर मसल लिया । तमाम हाय स्याह्
हो गये । इतने मे इनकी दासी जतुना ने दरूघ-रोदी लाकर इनके सामने
रखी । इन्होंने बगैर हाथ घोये खाना शुरू किया! खादिमा ने अपने दिल
मे कहा कि यह् तो वदतमीजी है । इतने मे शाही सिपाहियो ते आकर उसे
गिरफ्तार किया जौर कहा, “तूने जेरजामा चुराया है । तुभे कोतवाल के
पास ले जायेंगे ।” उन्होंने उसे मारना शुरू किया तो यह बोले, “इसे न
मारो, जेरजामा अभी मिल जाता है।” इतने मे एक आदमी ने आकर जेर-
User Reviews
No Reviews | Add Yours...