अर्हत आदीश्वर | Arhat Adishwar 

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Book Image : अर्हत आदीश्वर  - Arhat Adishwar 

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about गणेशमल -Ganeshmal

Add Infomation AboutGaneshmal

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
प्रपनी श्रोरसे अर्हत्‌ ्रादीहवर भगवान ऋपभ का जन्म यौगलिक व्यवस्था के ग्रन्त में उस समय हुश्राथा। जव यौगलिक व्यवस्था छिंन्न भिन्न सी हो रही थी । कुलकरों द्वारा प्रदत्त हाकार, माकार श्रौर घिक्कार नीति श्रसफलता के कगार पर थी । नैरंतरिक अभावों के कारण लोगों का स्वभाव विगड़ता सा जा रहा था । नित नई उलझनें बढ़ रही थी । तत्कालीन कुलकर नाभि चारों श्रोर से संत्रस्त हो चुके थे । वेसी स्थिति में वे ्रचानक पुत्र रत्न की प्राप्ति से प्रफुल्लित हो उठे । वालक के सुन्दर सुदुढ़ शरीर, तेजस्वी ललाट श्रौर ऊर्जेस्वी श्राभावलय को देखकर कुलकर नाभि ने अपनी पत्नी द्वारा श्रवलोफित स्वप्न के श्राघार पर उसका नाम व्वृपम कुमार' रखा । वही वालक श्रागे चलकर ऋषपभनाथ नाम से प्रसिद्ध हुआ । रौर प्रथम राजा, प्रथम भिक्षाचर, प्रथम तीर्थकर होने के क.रण ग्रादीश्वर श्रादिम वावा भी कहलाया । उनका विविध मुखी जीवन प्रेरक, घटना प्रधाव श्रौर श्रादि काल की संस्कृति को उजागर करने वाला है । उसे श्राधघार बनाकर जन संस्कृति, जैन तत्त्व श्र विभिन्न जीवनोपयोगी व्यावहारिक शिक्षाश्रों को एक स्थान मे प्रस्तुत करने वाला ग्रनेक परिच्छेदो में संदृव्ध महाकाव्य सा श्रानन्द देने बाला ग्रन्थ है ग्रहृत्‌ ्रादीश्वर । इसके रचयिता हैं तेरापंथ धर्म संघ के ्रनृणास्ता युगग्रधान भ्राचार्यश्री तुलसी के चयोवुद्ध मेघावी शिप्य मुनि श्री गर्णेशमलजी (गंगाशहर) श्राप सरल स्वभावी बीर झ्ध्ययनप्रिय संत हैं । झापकी श्रनेक पुस्तकें विविध संस्थानों से प्रकाशित हों चूकी हैं 1 श्रखिल भारतीय तेरापंथ युवक परिपद' को श्पने “युवा प्रकाशन के घ्न्तगंत रस सहाकाव्य ग्रन्थ को प्रकाशित कर सौरव सा झनुभव हो रहा है । हमारे संस्थान की श्रव तक प्रकाशित पुस्तकों में यह सबसे बड़ी परतक द्वोगी | रसके प्रकाण्नमे हमारी परिपदं दे उदीयमान उत्माही सगयेकर्ता युवा साथी भरें वरस दागा के परिवार ने सधिए सहसोग प्रदान पर हमारी साहिस्यिय प्रयुक्ति शनि तिप गत्ति प्रदान की हु । एसके मुझ्य में हसारे प्रछ पोपी निन्यार्थ समान त्यी कर्य यार्सा -. ४ क ष हक यम सपन्त प पदाना उट (सयुर) न [द नयम से इस दन्द दर्प से




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now