थॉमस पेन के राजनैतिक निबंध | Thomas Pen Ke Rajnaitik Nibandh

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Thomas Pen Ke Rajnaitik Nibandh by भागीरथ रामदेव दीक्षित - Bhagirath Ramadev Dixit

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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१५ करती हैं । मन्ये के अधिकार प्राकृतिक अधिकार हे 1 इसे 8 हमें पेन द्वारा स्थापित “प्राकृतिक-अधिकार' और नागरिक-अधिकार' की परीक्षा करनी चाहिए । उसका कहना हैँ कि प्राकृतिक अधिकार वे अधिकार हैं जिनका सम्बन्ध मनुष्य के अस्तित्व से है। सभी बौद्धिक अधिकार, मस्तिप्क के अधिकार त्तथा व्यक्तिगत रूप से अपने आनन्द एव सुविधा के लिए कार्य करने के वे सभी अधिकार, जो दूसरो के प्राकृतिक अधिकार के लिए वाघक नही हैं--इसी श्रेणी के अन्तगंत आते हैं। दूसरी भोर नागरिक अधिकार वे अधिकार ह, जो मनुष्य को समाज ॐ सदस्य होने के नाते प्रात रोते है। निशिवाद रूप से श्रत्येक व्यक्ति को कुछ प्राकृतिक अधिकार प्रास हैं, उन्हें क्रियान्वित करने में अथवा उन्हें सफल वनाने में प्राय. वह व्यक्ति के रूप में शक्तिहीन रहता है। इसलिए दैनिक जीवन को समव बनाने के लिए वह्‌ अन्य व्यक्तियों का साथ करता है। पेन के अनुमार प्रत्येक नागरिक अधिकार किसी प्राकृतिक अधिकार से उत्पन्न होता है । प्राकृतिक रूप से श्रत्येक व्यक्ति को अपने वचाव गौर अपनी सुरक्षा को सभव बनाने का पूर्ण अधिकार है ; परन्तु यदि चह केला है तो उसे इस वात का बोध हो सकता है कि प्रकृति और गधघिकार के अनुसार जो कुछ उसका है उसे वह प्रात नहीं कर सकता । इसलिए सामाजिक समझौते की, जो सामूहिक प्रयत्न द्वारा जीवन-निर्वाह को सम्मव बना सके, गाददयवता उत्पन्न होती है। फिर भी, पेन की मान्यता थी कि इस सामाजिक समभकौते को मनुष्य के वैयक्तिक अधिकारों पर आक्रमण नहीं करना 'चाहिए ; वयोकि 'समाज के सभी महान नियम प्रकृति के नियम है ॥ पेन की मान्यता है कि किसी भी राष्ट्र को उस युख से वचित नही रखना चाहिए, जो एक 'राष्ट्रीय सघ' से प्राप्त होता है । जिस क्षण औौपचारिक सरदार को समाप्त कर दिया जाता है, उसी क्षण समाज कायं करना आरम्भ कर देता है। एक सामान्य सगठन उत्पन्न होता है, गौर सामान्य हितो के कारण सावें- जनिक सुरक्षा वनी रहती है ।' पेन झानुवदिक राजतन्त्र ( झटा८ताशाएु फै0020घ% ) को अत्यंत घूरित इसलिए मानता था कि इस व्यवस्था के अनुस'र शारीरिक भर मानसिक रूप से निवल, एकं वच्वा या एक वयस्क गही का अधिकारी होता है । पेन ने लिखा है कि प्रेसीडेप्ट वाशिंगटन उन सभी व्यवितयो को लज्जित करने में स+र्थ है, चिन्हे




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