आत्मविश्वासी बनो | Aatmavishvasi Bano

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Aatmavishvasi Bano by गन्धर्व - Gandharv

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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जीवनियों का अध्ययल करे, तो आप पर-अ्रक़ट होगी कि भारम्भ में इन मे से किसी की भी अवस्था आप से बेहतर नहीं थी । यदि आप किसी किसान या मजदूर के बेटे हूं, तो इनके माता पिता के माथे पर भी कुली नता का तिलक नही लगा था। आप उच्च शिक्षा प्राप्त नही कर सके, तो इन्हे भी उच्च शिक्षा प्राप्ति की सुविधाये नहीं मिली थी । आप की तरह इन्हे भी बालावस्था मे पाठशाला को तिलाजली देनी पडी थो । परन्तु इन सब बातो के बावजूद वे सफल होकर रहे, क्योकि उन्हे अपने पर, अपनी योग्यता और सकल्प-द्यव्ति पर, अटल विष्वास था। वे जानते थे कि वे अपने प्रयत्नो से कठिनाइओ पर काबू पा सकते है, अपना मागं बना सकते है,और अपने लक्ष्य तक पहुँच सकते है । वे स्वय को किसी से हीनतर नहीं समझते थे । वे केवल नातो के ही धनी नही थे, बल्कि जिस सिद्धात, विचार या आदक्ँ के प्रति उन्हे निष्ठा थी; उसे कार्य रूप मे परिणत करने का प्रयास भी वे करते थे । इस लिए वे अपने साथियों से बाजी ले गए । फिर आप क्यो इस महान शक्ति सोत से काम न ले ? आप भी स्वयं को उच्चतम पद का अधिकारी क्यो न समझे, ओर अपने बाहुबल के चमत्कार पर विवा करते हुए कमं मार्ग पर अग्रसर होकर सर्वोच्च पद क्यों प्राप्त न करे † आत्मयिदवास और सफलता से कारण कायं का सम्बन्ध है। आत्मवादिवास के बिना सफलता की कल्पना भी नहीं की जा सकती । यह विश्वास कि मैं कर सकता हूँ, पहाडो को पथ देने' पर बाध्य कर देतां है 1 ओर यह्‌ निश्चय किं सफलता मेरा जन्म- सिद्ध अधिकार है, दुनिया कौ कोई श्वित्‌ मुज्षे उससे वचित नही रख सकती, मानव का उत्थान करता है, उसे गति ओर कमेरीलता प्रदान करता है, निभयं बनाता है, ओर उसके हृदय मे आशा-दीप को सदा प्रज्जवलित रखता है । इस प्रकार उसकी




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