बातें जिनमें सुगन्ध फूलों की | Baten Jiname Sugandh Phoolon Ki
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
34 MB
कुल पष्ठ :
160
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)ज़बानकों अच्छा कहे जा रहे हैं, वाह रे स्ने एतिकृद् !
ररे बन्दे ख़ुदा, उदू बाज़ार न रहा, उदूं कहाँ दिल्ली
कहाँ ! चल्ला अब दहर नहीं कैम्प हैं छावनी हैं, न किला
न दाहर न बाज़ार न नहर--जामा मसजिदसे राजघाट
दरवाज़े तक रको-दकू सहरा हैं । इंटोंका जो ढेर पड़ा हैं
वह अगर उठ जाये तो हूका मकान हो जाये । कर्मीरी
दरवाज़ेका हाल तुम देख लुक अब आहिनी सड़कके वास्त
कलकते दरवाज़े तक सेदान हो गया । पंजाबी कटरा,
घोबी वाड़ा, रामजी गंज, सआदत खाँ का कटरा, रामजी
दास गोदामवालेकें मकानात, साहब रामका बारा हवेली
इनमें-से किसीका पता नहीं मिलता । किस्सा सुख्तसर
दाहर सहरा' हो गया ।”
-- मजद््के नाम
१. कौरान |
ग़ालिब ९
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