बातें जिनमें सुगन्ध फूलों की | Baten Jiname Sugandh Phoolon Ki

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Book Image : बातें जिनमें सुगन्ध फूलों की  - Baten Jiname Sugandh Phoolon Ki

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about अहमद सलीम - Ahmad Salim

Add Infomation AboutAhmad Salim

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
ज़बानकों अच्छा कहे जा रहे हैं, वाह रे स्ने एतिकृद्‌ ! ररे बन्दे ख़ुदा, उदू बाज़ार न रहा, उदूं कहाँ दिल्‍ली कहाँ ! चल्ला अब दहर नहीं कैम्प हैं छावनी हैं, न किला न दाहर न बाज़ार न नहर--जामा मसजिदसे राजघाट दरवाज़े तक रको-दकू सहरा हैं । इंटोंका जो ढेर पड़ा हैं वह अगर उठ जाये तो हूका मकान हो जाये । कर्मीरी दरवाज़ेका हाल तुम देख लुक अब आहिनी सड़कके वास्त कलकते दरवाज़े तक सेदान हो गया । पंजाबी कटरा, घोबी वाड़ा, रामजी गंज, सआदत खाँ का कटरा, रामजी दास गोदामवालेकें मकानात, साहब रामका बारा हवेली इनमें-से किसीका पता नहीं मिलता । किस्सा सुख्तसर दाहर सहरा' हो गया ।” -- मजद््के नाम १. कौरान | ग़ालिब ९




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now