साठोत्तर हिंदी उपन्यासों में सामाजिक विघटन का समीक्षात्मक अध्ययन | Sathottar Hindi Upanyason Mein Samajik Vightan Ka Samikshatmak Adhyayan

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Sathottar Hindi Upanyason Mein Samajik Vightan Ka Samikshatmak Adhyayan by सेठ अचल सिंह - Seth Achal Singh

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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सुतंलन बना रहता है। किन्तु जब किठ समिति के क्रार्यो को छीन लेती जाने 1 क्ते कारा विघटन की स्थिति उत्पन्न हो गयी। सरकार के झनेक कार्यों कहो व्यक्तिगत |... | धो मैं दिया जा एहा है, जो विघटन के लक्षण बन रहे हैं। .. ........ न 9 -. व्यक्तिवादी भावना :- 2 4. ~. | ॥ जलने लगताहे वैयक्तिक मूल्य वहीं तकः टीक्छ रहते हैँ जहां तच्छ उनका शामाजिक मूल्यों | (4५५ ५ [तः न न १ दसम $ {. मु मे मा हा किलर ओर उन सामाजिक मूल्यों का शंजक बन जाता है। व्यक्तिवादिता 1 पक तावादं की प्रवृत्ति बदढने लगती है। व्यक्तिवादिता का दर्शन 1 तरित क्ता है। यजनीति मे व्यक्तिवाटी त म झूठी महँनाई उत्पन्न हो जाती ताज क ओ जाता है औऔ या बढ़ावा




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