"सुभाषचंद्र बोस " का आधुनिक भारतीय राजनीति में वैचारिक एवं रचनात्मक योगदान : एक मूल्यांकन | Subash Chandr Boash Ka Adhunik Bhartiya Rajneet Mein Vaicharik Evam Rachnatamk Yogdan : Ek Mulyanakan

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Subash Chandr Boash Ka Adhunik Bhartiya Rajneet Mein Vaicharik Evam Rachnatamk Yogdan : Ek Mulyanakan by नगमा खाज़म - Nagma Khazam

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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जीबन एवं व्यक्तित्व मानव जीवन प्रथमतः ओर अन्ततः एक यात्रा है ओर यह एक ऐसी यात्रा है जो असमाप्त है। मनुष्य जन्म से लेकर मूत्युपर्यन्त यात्रा करता है। आचायि विनोवा भावे ने अपने एक प्रवचन के अवसर पर कहा था-इस जन्म का जो अन्त दहै, वही अगले जन्म का आरम्भ हे।॥*) वस्तुतः यात्रा ही वह तत्व है जिसमें मनुष्य जीवन जीवंत बनता है ओर दीर्घकाल तक मानव समाज में जीवित रहता है। इस चिन्तन के अनुरूप नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की जीवन यात्रा केवल देश ही वरन सम्पूर्णं मानवता के लिए प्रेरणा देने वाली हे। सुभाष चन्द्र बोस उन भारतीय नेताओं तथा वीरो मै से एक है जिन्होने नेता नाम को सार्थक किया। (आपके नाम के साथ नेताजी शब्द रूढी हो गया! सुभाष चन्द्र बोस ने अपने वैचारिक एवं कार्मिक जीवन की गतिविधियों द्वारा नेताजी शब्द को सच्चे अर्थ में सार्थक वबनाया। भारतीय स्वतंत्रता आन्दोलन मँ क्रान्तिकारी रष्ट्रवाद के प्रेणता सुभाष चन्द्र का जन्म कोदाजिया के जानकी नाथ बसु तथा प्रभावती के घर पर उड़ीसा राज्य के कटक जिले में 23 जनवरी सन्‌ 1897 को शनिवार के दिन हुआ था इनके पिता श्री जानकी नाथ महिनगर के बोस परिवार तथा माता दत्त परिवार की कन्या थी। सुभाष चन्द्र॒ बोस माता-पिता की संतन्ति मँ न्वं ओर पुत्रो मँ ष्ठे थे। जिन दिनों जानकी नाथ बसु कटक में आकर बसे थे शहर विशेष बडा न था। किन्तु अपनी अनेक विशेषताओं के कारण कटक देश के प्रमुख शहरो मँ जिना जाने लगा था। कटक उड़ीसा राज्य की राजधानी थी। इस राज्य में हिन्दुओं के चार तीर्थ स्थानों में से एक जगन्नाथ पुरी भी स्थित है।* इसके अतिरिक्त कोणार्क, भुवनेश्वर, । उदयगिरी जैसे मन्दिरों का विश्व प्रसिद्ध शिल्प निदर्शन कटक की देन है। कटक उड़ीसा के ब्रिटिश प्रशासक का ही. नहीं अपितु अनेक देशी राजाओं का भी मुख्यालय था। सुभाष बोस के पिता श्री जानकी नाथ कटक के बहुत बड़े वकील थे। उन्हें उड़ीसा + ~ किपस कोजार - मारत के दुर्घव कान्तकारी पृष्ठ या एएएएएएएएएपएतएएएपएए77 शर्मा, सुधीर - भारत कं कर्णधार : पृष्ठ 49 लि रबर 5, 1 प्रयाग नारायण त्रिपाठी - नेता जी सम्पूर्णं वाङ्मय भाग -1 पृष्ठ 31 ` शर्मा. सुधीर - भारत के कर्णघार : पृष्ठ 49




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