बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय झाँसी के इतिहास विभाग | Bundelkhand Vishvvidhyalaya Jhansi Ke Itihas

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Bundelkhand Vishvvidhyalaya Jhansi Ke Itihas  by निर्मला दुबे - Nirmala Dubey

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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जैन साहित्य छठी शताब्दी ईसा पूर्व धार्मिक क्रान्ति में जैन धर्म का भी अपना महत्व है । नगरीकरण व्यावसायीकरण तथा कृषि एवं समाज से संबन्धित गतिविधियों का वर्णन जैन साहित्य में भरा पड़ा है । धार्मिक इतिहास तथा समाजिक परिर्वतन के अध्ययन जैन आगम ग्रन्थों का अपना अप्रतिम महत्व है । इन आगम ग्रन्थों में कई प्रकार की पुस्तकं का संकलन किया गया है । विन्टरनित्न का मानना हे कि आगम साहित्य के प्राचीनतम्‌ अंश ईसा पूर्व के चौथी से द्वितीय शाताब्दी ईसा पर्वं के हो सकते है # दिगम्बरो के छटे“अंग का नाम ज्ञातिधर्मकथांग था । यह ग्रन्थ उन कुछ धर्मगुहीत ग्रन्थों में से एक है जो श्वेताम्बरों और दिगम्बरों दोनो में था यह जैन ग्रन्थ तृतीय शताब्दी ईसा पूर्व के पहले ही विद्यमान होगा † ज्ञाताधर्मकथा में धान की रोपाई का विशद वर्णन प्राप्त होता है । इसमें हमें सूचना मिलती है कि धन नामक एक समृद्ध व्यापारी की चार में से एक पुत्रवधू रोहिणी की गृहस्थी से सम्बद्ध कृषि-मजदूर (कुलधरपुरिसे) से भली प्रकार तैयार की गयी एक क्यारी में पोच अक्षत धान के बीज बोते हैं । वे दो और तीन बार 9 80171171 1737 1 ए ए 2 | ४- वही पृष्ठ ४१८६ | छ ८ शर्मा, रामशरण, प्राचीन भारत में भौतिक प्रगति एवं संरचनायए ` पेपर बेक, राजकमल प्रकाशन नई दिल्ली(१६६७) पृष्ठ 9४५ ६- वही पृष्ठ १०६ ।




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