बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय झाँसी के इतिहास विभाग | Bundelkhand Vishvvidhyalaya Jhansi Ke Itihas
श्रेणी : इतिहास / History
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
71 MB
कुल पष्ठ :
252
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)जैन साहित्य
छठी शताब्दी ईसा पूर्व धार्मिक क्रान्ति
में जैन धर्म का भी अपना महत्व है । नगरीकरण
व्यावसायीकरण तथा कृषि एवं समाज से संबन्धित गतिविधियों
का वर्णन जैन साहित्य में भरा पड़ा है । धार्मिक इतिहास
तथा समाजिक परिर्वतन के अध्ययन जैन आगम ग्रन्थों का
अपना अप्रतिम महत्व है । इन आगम ग्रन्थों में कई प्रकार
की पुस्तकं का संकलन किया गया है । विन्टरनित्न का
मानना हे कि आगम साहित्य के प्राचीनतम् अंश ईसा पूर्व के
चौथी से द्वितीय शाताब्दी ईसा पर्वं के हो सकते है #
दिगम्बरो के छटे“अंग का नाम ज्ञातिधर्मकथांग था । यह
ग्रन्थ उन कुछ धर्मगुहीत ग्रन्थों में से एक है जो श्वेताम्बरों
और दिगम्बरों दोनो में था यह जैन ग्रन्थ तृतीय शताब्दी
ईसा पूर्व के पहले ही विद्यमान होगा † ज्ञाताधर्मकथा में धान
की रोपाई का विशद वर्णन प्राप्त होता है । इसमें हमें सूचना
मिलती है कि धन नामक एक समृद्ध व्यापारी की चार में से
एक पुत्रवधू रोहिणी की गृहस्थी से सम्बद्ध कृषि-मजदूर
(कुलधरपुरिसे) से भली प्रकार तैयार की गयी एक क्यारी में
पोच अक्षत धान के बीज बोते हैं । वे दो और तीन बार
9 80171171 1737 1 ए ए 2 |
४- वही पृष्ठ ४१८६ | छ
८ शर्मा, रामशरण, प्राचीन भारत में भौतिक प्रगति एवं संरचनायए
` पेपर बेक, राजकमल प्रकाशन नई दिल्ली(१६६७) पृष्ठ 9४५
६- वही पृष्ठ १०६ ।
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