वेंकटनाथ कृत यादावाभ्युदय महाकाव्य का समीक्षात्मक अध्ययन | Venkatnath Krit Yadavabhyuday Mahakabya Ka Sameekshatmak Adhyayan

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Venkatnath Krit Yadavabhyuday Mahakabya Ka Sameekshatmak Adhyayan by पंकज कुमार पाण्डेय - Pankaj Kumar Pandeyराजाराम दीक्षित - Rajaram Dixitराम किशोर शास्त्री - Ram Kishor Shastri

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राम किशोर शास्त्री - Ram Kishor Shastri

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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वेदान्तदेशिक जी हयग्रीव मन्त्र के अनुसन्धान म तत्पर हो गये ओर गरुड जी द्वारा प्रदत्त हयग्रीव भगवान्‌ की अचमिर्ति की अर्चना करते हुए उन्होंने कुछ काल व्यतीत किया। एक दिन प्रसन्न हयग्रीव जी ने उन्हें प्रतिपक्षी के सिद्धान्तं का खण्डन करने म समर्थ, सकल शस्त्रो मे पाण्डित्य एवं शास्त्रार्थ सभाओं में विजयशील पराक्रम का वरदान देकर अनुगृहीत किया। ऐसी परम्परा प्रसिद्ध है। इसी समय उन्होंने देवनायक पन्चाशत्‌, गोपालविंशति ओर कुछ द्राविड ग्रन्थों की रचना की। अहीनद्रपुर से वापस काञ्ची आते हुए मार्ग में उन्होने देहलीश स्तुति' तथा सच्चरित्र रक्षा' की रचना की। कान्यी वापस आकर वे वेदान्त के प्रवचन में लग गये। अनेक वर्षो तकं सुखपूर्वक व्यतीत करते हुए उन्होने *वरदराजपन्चाशत्‌' एवं अन्य अनेक संस्कृत और द्राविड प्रबन्धों की रचना की। उत्तर भारतीय तीर्थस्थलों के यात्रा क्रम में वेदान्तदेशिक जी ने सर्वप्रथम वेंकटाद्रि (तिरुपति) की यात्रा की जहां उन्होंने दयाशतक की रचना करक भगवान्‌ श्री निवास को समर्पित किया। वे यहां भगवान्‌ तिरुपति और मन्दिर के परिसर से अत्यधिक प्रभावित हुए। उनके ' संकल्प सूर्योदय' तथा 'हंस संदेश' नामक ग्रन्थों में उत्तर भारत के अनेक तीर्थस्थानों का स्मरण प्राप्त होता है। उन्होने भगवान्‌ श्रीरामचन्द्र की नगरी अयोध्या को ` पाषण्डिमण्डल प्रचार खण्डित कार्तयुगधर्म'' तथा '*निवृत्रिधर्मनिष्ठ अनिष्ठुरबृद्धिवार्लो '' से परित्यक्त कहा है।' सूर्योदय, पेज 557 ॥ प्‌ प्‌ ॥ | | पर




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