उत्तरप्रदेश में ब्रिटिश काल और उसके बाद हुए उच्च शिक्षा के विकास का एक तुलनात्मक अध्ययन | Uttar Pradesh May British Kal Ayur Usakay Bad Huay Ucch Shiksha Ke Vikas Ka Ek Tulnatmak Adhyayan

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Uttar Pradesh May British Kal Ayur Usakay Bad Huay Ucch Shiksha Ke Vikas Ka Ek Tulnatmak Adhyayan by मुजीब अहमद - Muzeeb Ahamad

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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आज देश की वर्तमान प्रचालित शिक्षा पद्धति योग्यता एवं गुर्णों का मूल्यांकन कम करती है अपितु पुस्तकीय ज्ञान की परीक्षा करती है। शिक्षा के उद्देश्यों से दूर यह शिक्षा पद्धति मनुष्य का नही कुछ उपाधि युक्त लोगों का निर्माण कर रही है। जाकिर हसैन के अनुसार, ** प्रचालित | शिक्षा प्रणाली न तो वर्तमान परिस्थितियों का हल करती दै ओर न उसका कोई रचनात्मक तया जीवनदायक महत्व ही दै) > के अंग्रेजो द्वारा निर्मित शिक्षा प्रणाली में सुधार लाने के लिये समय-समय पर ) प्रयत्न किये जाते रहे है। गाँधी जी द्वारा प्रस्तावित वर्धा शिक्षण र ४ 4 जगा, मुदालियर, कोठारी, राधा जाकिर हसैन, सम्पूर्णानन्द आदि की अध्यक्षता में बने आयोगों और समितियों ने शिक्षा में ६ परिर्वतन लाने के सुझाव प्रस्तुत किये लेकिज इनके विचारों और सुझावों पर आश्वश्यकता के अनुरूप अमल नहीं किया णया। सम चयन वतमान उच्च शिक्षा विभिन्‍न समस्याओं जैसे छात्रों के प्रवेश की समस्य विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों में छात्र अशांति, उच्च शि८ प्राप्त करने के बाद रोजगार की समस्या शिक्षकों की समस्या आदि से ग्रस्त है। उच्च शिक्षा को सुचारू रूप से संचालित करने के लिये यह बितांत £ ८ (+ ५ ^ रे ५ तर 9 ५ र 1 £| 9 4 ` 4 & ई 1 ट > ६ ध 5 ही संख्या मे अमूलभूत परिर्वतन हुआ है इनके का निधारण करने के लिये ब्रिटिश कालीन उद्च शिक्षा | ं का सहारा लेना पड़ता है यद्यपि, दोनों ही लियो एवं संसाधनों में पर्याप्त अन्तर है। ब्रिदिश कालीन उच्च शिक्षा के विभि रिपो के आधार पर स्वतंत्रता के बाद के विभिन्‍न आयोगों त | पर तुलना करने पर उच्च शिक्षा के विकास की (+




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