मेरा बचपन | Mera Bachpan
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
1 MB
कुल पष्ठ :
119
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)भेर वचपत
का दिनि घण्टे का दिसाव नहीं मानता! वहीं कां वार्ह
यज्ञे चही पुराने ज्ञमान का है, जव राजमवन के सिंहदार
पर समा-मंग का डंका यज्ञा करता, राजा चन्दन के जल
से स्नान करने उड जति। दुद के दिनि दोपदरी छो मँ
जिनकी देय-देय में हूँ, वे सभी खा पी फर सो रहें है।
अकेला चैठा हुँ । चलने का रास्ता मेरी ही मंजॉपर
निकाला गया है । उसी रास्ते मेरी पाट्की दूर-दूर के
देश-देशान्तर को चढी है। उन देशों के नाम मैंने ही
अपनी फितावी विद्या के अजुसार गढ़ लिये है। फभी
कर्भ सस्ता घने जंगल के भीतर चु जातः रै, ८ चं }
याघ षी भसं चमकर्दी है। शरीर सनसना रहा है।
साथ में विश्वनाथ शिकारी है। वद उसकी चन्दूक
घाँयसे छूटी 1 बस, सब चुप। इसके याद पक चार
पाऊकी का चेहरा चदठ गया । घह वन गई मोरप॑ली
चजया, वह चली समुद्र में । किनारा दिखाई नहीं देता |
डॉड पानी में गिर रहे हे-छप-छप छप-छपू। हें
उठ रही है--दिढती-डुढती, फूलती-फुफुफारती | मल्ला
'चिल्लां उठते है--सम्दालो, सम्दालो, आंधी भाई । पतवार
फे पास भव्दुल माफी बैठा है--नुकीली दाढ़ी, सफायठ
मूर्दें घुरी चांद । इसे मैं पदचानता इँ । बद दादा फे
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